डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)
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बरसी सावन की घटा, गरजे मेघ प्रचण्ड।
ईश्वर शिव पूजन जगत, भारत बने अखण्ड॥
सती नाथ झूला झुले, सावन पावस मास।
भूत प्रेत नंदी स्वजन, नाचें गाएँ पास॥
हरि ब्रह्मा सब देवगण, ऋषि-मुनि सब गन्धर्व।
सती रमण झूलन मगन, आनंदित हैं सर्व॥
त्रिपुरारी जगदम्ब सह, सावन वृष्टि फुहार।
भीगे गंगाधर सती, चन्द्रमौलि जलधार॥
गंगाधर शंकर प्रभो, ज्योतिर्लिंग अपार।
सावन की जलधार सम, कृपा बरस ओंकार॥
मंगल सावन दिवस शुभ, शिव प्रदोष उपवास।
मिटे सकल बाधा विपद, शिव पूजन विश्वास॥
सावन बूँदों की झड़ी, शिव शंकर अभिषेक।
महाकाल शम्भो हरे, ब्रह्म रूप हरि एक॥
विश्वनाथ शंकर स्वयं, शूलपाणि जगदीश।
त्रिपुरारी पशुपति विभो, डमरूधर गौरीश॥
भीमाशंकर जगत्पति, उमानाथ नागेश।
बैद्यनाथ कल्याणकर, त्र्यम्बकनाथ महेश॥
अमलेश्व अमरेश शिव,महादेव परमेश।
नंदीश्वर केदार प्रभु, कृपासिंधु रामेश॥
बाघम्बर गिरिजेश शिव, सदा सच्चिदानन्द।
मल्लिकार्जुन उमेश्वर, खिलो कृपा मकरन्द॥
नंदीश्वर कैलाश शिव, भूतनाथ हर शोक।
लिंगराज भुवनेश हर, द्वादश लिंगालोक॥
उमानाथ आराध्य शिव, जटाजूट शिवलोक।
तन-मन अर्पित साधना, शिव शंकर हर शोक॥
एकादश हनुमान बन, रुद्र रूप अवतार।
शरणागत वत्सल प्रभो, भौतिक तारणहार॥
परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥