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चाँद

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’
छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
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ऐ चाँद,
तुझे देख,
मुझे लगता है यूँ,
दुनियादारी के,
रंग सभी,
तुझमें है भरे,
कितना है मतलबी,
तू देख अरे…l
सूरज का,
ले प्रकाश,
प्रथमा-द्वितीया को,
विनीत भाव से,
सूरज के संग,
खड़ा रहता है,
और सूरज की,
सहायता से,
सहानुभूति से,
जब तेरी,
प्रगति होती है,
आकार बड़ा होता है,
पूनम आते-आते तू,
पूरब में,
सूरज के सम्मुख,
प्रतिद्वंदी-सा,
सीना ताने,
खड़ा होता है…l
आँख दिखाता है,
भूल जाता है,
कि अब भी,,,,
प्रकाश,
सूरज से ही,
पा रहा है…
बहरूपिया तू,
रूप हजारों,
धरता है,
तारों पे,
हुकूमत,
करता है…l

ऐसे ही,
कुछ लोग यहाँ,
निज स्वार्थ,
साधते हैं…
जुगनू से,
दीपक से,
नक्षत्रों से,
सूरज से,
स्वा प्रकाशमान,
लोगों से,
उनका प्रकाश हर,
अपने अवगुण का,
अंधकार,
प्रकाश की,
आड़ में,
औरों के,
जीवन में,
भरते हैं…l
ऐसे कलुषित,
लोगों से,
हम डरते हैं…ll

परिचय-सुश्री अंजुमन मंसूरी लेखन क्षेत्र में साहित्यिक उपनाम ‘आरज़ू’ से ख्यात हैं। जन्म ३० दिसम्बर १९८० को छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) में हुआ है। वर्तमान में सुश्री मंसूरी जिला छिंदवाड़ा में ही स्थाई रुप से बसी हुई हैं। संस्कृत,हिंदी एवं उर्दू भाषा को जानने वाली आरज़ू ने स्नातक (संस्कृत साहित्य),परास्नातक(हिंदी साहित्य,उर्दू साहित्य),डी.एड.और बी.एड. की शिक्षा ली है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक(शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय)का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप दिव्यांगों के कल्याण हेतु मंच से संबद्ध होकर सक्रिय हैं। इनकी लेखन विधा-गीत, ग़ज़ल,हाइकु,लघुकथा आदि है। सांझा संकलन-माँ माँ माँ मेरी माँ में आपकी रचनाएं हैं तो देश के सभी हिंदी भाषी राज्यों से प्रकाशित होने वाली प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं तथा पत्रों में कई रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। बात सम्मान की करें तो सुश्री मंसूरी को-‘पाथेय सृजनश्री अलंकरण’ सम्मान(म.प्र.), ‘अनमोल सृजन अलंकरण'(दिल्ली), गौरवांजली अलंकरण-२०१७(म.प्र.) और साहित्य अभिविन्यास सम्मान सहित सर्वश्रेष्ठ कवियित्री सम्मान आदि भी मिले हैं। विशेष उपलब्धि-प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के शिष्य पंडित श्याम मोहन दुबे की शिष्या होना एवं आकाशवाणी(छिंदवाड़ा) से कविताओं का प्रसारण सहित कुछ कविताओं का विश्व की १२ भाषाओं में अनुवाद होना है। बड़ी बात यह है कि आरज़ू ७५ फीसदी दृष्टिबाधित होते हुए भी सक्रियता से सामान्य जीवन जी रही हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-अपने भावपूर्ण शब्दों से पाठकों में प्रेरणा का संचार करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा तो प्रेरणा पुंज-माता-पिता हैं। सुख और दु:ख की मिश्रित अभिव्यक्ति इनके साहित्य सृजन की प्रेरणा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
हिंदी बिछा के सोऊँ,हिंदी ही ओढ़ती हूँ।
इस हिंदी के सहारे,मैं हिंद जोड़ती हूँ॥ 
आपकी दृष्टि में ‘मातृभाषा’ को ‘भाषा मात्र’ होने से बचाना है।

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