कुल पृष्ठ दर्शन : 227

You are currently viewing जन-जन हिंदू हैं…

जन-जन हिंदू हैं…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’
पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)
**********************************

माँ की पदरज सदा माथ का,
पावन टीका बनती है।
जिसकी धरती राम-श्याम ही,
युगों-युगों से जनती है॥
जहाँ देव भिलनी के फल से,
तोषित जीवन पाते हैं।
मनुज शान्ति को पाने जिसकी,
भू पर माथ टिकाते हैं॥

जिसके पग को धोकर हर्षित,
गर्वित होता सिंधू है।
पावन भू पर रहने वाला,
मानव-मानव हिंदू है॥

उठी तरंगों से जिसका उर,
नीरनिधि बाँध लेता है।
जिसके साहस से प्रवाल भी,
नित मौन साध लेता है॥
रिपुओं को भी जिसकी रसना,
मनहर गीत सुनाती है।
जिसकी स्वेद सुधा से धरती ,
हो नूतन हर्षाती है॥
जो भारत के दीप्त माथ का,
नित ज्योतिर्मय बिंदु है।
वही योग से सींचित सज्जित ,
साधक योगी हिंदू है॥

नदियाँ जीवन गीत सुनातीं,
बहतीं रहती छल-छल हैं।
पतितों को पावन कर देता,
जिसका मधु गंगाजल है॥
धरा किसी जन को भी भूखा,
कभी न सोने देती है।
पावन गीता कभी न उर को,
मैला होने देती है॥
गर्वित होकर कहता है जो,
हाँ वह ही तो हिंदू है।
वही भाव से भरा सदा ही,
ऊर्जित जन हिंदू है॥

जिसके पग को धोकर हर्षित,
गर्वित होता सिंधू है।
पावन भू पर रहने वाला,
मानव-मानव हिंदू है॥

परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक उपमान-सागर है। जन्म तारीख २४ अप्रैल १९६६ और जन्म स्थान-ग्राम सतगढ़ है। वर्तमान और स्थाई पता-जिला पिथौरागढ़ है। हिन्दी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले उत्तराखण्ड राज्य के वासी डॉ.कापड़ी की शिक्षा-स्नातक(पशु चिकित्सा विज्ञान)और कार्य क्षेत्र-पिथौरागढ़ (मुख्य पशु चिकित्साधिकारी)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत पर्वतीय क्षेत्र से पलायन करते युवाओं को पशुपालन से जोड़ना और उत्तरांचल का उत्थान करना,पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं के समाधान तलाशना तथा वृक्षारोपण की ओर जागरूक करना है। आपकी लेखन विधा-गीत,दोहे है। काव्य संग्रह ‘शिलादूत‘ का विमोचन हो चुका है। सागर की लेखनी का उद्देश्य-मन के भाव से स्वयं लेखनी को स्फूर्त कर शब्द उकेरना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-सुमित्रानन्दन पंत एवं महादेवी वर्मा तो प्रेरणा पुंज-जन्मदाता माँ श्रीमती भागीरथी देवी हैं। आपकी विशेषज्ञता-गीत एवं दोहा लेखन है।

Leave a Reply