अमल श्रीवास्तव
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
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मंदिर,मस्जिद नहीं चाहिए,
चाह नहीं गुरुद्वारों की।
आज जरूरत हमें देश में,
वतन के पहरेदारों की॥
भारत माँ का मुकुट शिरोमणि,
सुलग रहा है शोलों से।
कांप रही रूह आज राष्ट्र की,
उग्रवाद के गोलों से॥
नहीं लियाकत हमें चाहिए,
आज हिमाकत की बारी।
करतालों के स्वर में गोली,
वीणा में हो बम बारी॥
खाई पाट सको तो पाटो,
दिल में पड़ी दरारों की।
आज जरूरत हमें देश में,
वतन के पहरेदारों की…॥
आसमान की सोच लिए जो,
धरती को ललकार रहे।
माँ की ममता भूल आज वे,
उसको ही दुत्कार रहे॥
सत्ता सिंहासन सर्वोपरि,
निष्ठा का बजरंग गया।
रक्षा कवच बना है कातिल,
बलिदानों का रंग गया॥
खड़ी चुनौती आज सामने,
दहक रहे अंगारों की।
आज जरूरत हमें देश में,
वतन के पहरेदारों की…॥
सीमावर्ती कुछ देशों ने,
विश्व शांति का मंत्र भुला।
पंचशील को तहस-नहस कर,
अमन चैन में जहर मिला॥
यूएनओ निर्गुट आंदोलन,
की अपील को मेट दिया।
सार्क-शिखर सम्मेलन में भी,
विग्रह ने घुसपैठ किया॥
मान बिंदुओं के खंडन हित,
होड़ लगी हथियारों की।
आज जरूरत हमें देश में
वतन के पहरेदारों की…॥
मोहग्रस्त उद्देश्य,दुर्व्यसन,
नरता के श्रंगार बने।
समाधान की किरण लुप्त है,
देवदूत खूंखार बने॥
हिंसा के दावानल से,
सब दीप झुलसते जाते हैं।
खंड-प्रतापी षड्यंत्रों से,
घाव पिघलते जाते हैं॥
आर्तनाद की चाह नहीं अब,
चाह हमें हुंकारों की।
आज जरूरत हमें देश में,
वतन के पहरेदारों की…॥
भारत माँ आवाज दे रही,
सोई हुई जवानी को।
उठो सपूतों कफन बांध लो,
याद करो कुरबानी को॥
पुण्य-धरा के वीर-सिपाही,
फिर पहचानो अपने को।
फर्ज निभाकर पूर्ण करो तुम,
भारत माँ के सपने को॥
करो नहीं अनसुनी जरा भी,
माँ की करुण पुकारों की।
आज जरूरत हमें देश में,
वतन के पहरेदारों की…॥
शिव,दधीच,गौतम,सुभाष की,
आत्मा तुम्हें बुलाती है।
सीता,सावित्री,दुर्गा की,
रूह भी टेर लगाती है॥
स्वप्न छोड़कर थाम डोर लो,
अब अपने अभियानों की।
वज्र शक्ति-संकल्प जगाकर,
गति रोको तूफानों की॥
दाल नहीं तुम गलने देना,
लुके-छुपे गद्दारों की।।
आज जरूरत हमें देश में,
वतन के पहरेदारों की…॥
परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।