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नाचीज बना दिया मुझको

गुरुदीन वर्मा ‘आज़ाद’
बारां (राजस्थान)
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नाहक समझकर अपनों ने,नाचीज बना दिया मुझको।
सौतन से लगाकर दिल सबने,बेघर बना दिया मुझको॥

क्यों दोष फिरंगियों को मैं दूँ,अपनों ने किया है सितम,
किससे मैं अपनी पीड़ा कहूँ,बेजुबां बना दिया मुझको।
नाहक समझकर अपनों ने…

कभी होती थी पूजा मेरी,मैं जान थी यहाँ हर दिल की,
नहीं माना गया मुझको सबला,अबला बना दिया मुझको।
नाहक समझकर अपनों ने…

कभी आन थी हिंदुस्तान की,पहचान थी हिंदुस्तान की,
अब कौन करे रक्षा मेरी,बेख्वाब बना दिया मुझको।
नाहक समझकर अपनों ने…

रह गई अब मैं मात्र भाषा,इंग्लिश की आई बहार जो,
मैं ताज बनूँ कैसे सिर का,बेताज बना दिया मुझको।
नाहक समझकर अपनों ने…॥

परिचय- गुरुदीन वर्मा का उपनाम जी आज़ाद है। सरकारी शिक्षक श्री वर्मा राजस्थान के सिरोही जिले में पिण्डवाड़ा स्थित विद्यालय में पदस्थ हैं। स्थाई पता जिला-बारां (राजस्थान) है। आपकी शिक्षा स्नातक(बीए)व प्रशिक्षण (एसटीसी) है।इनकी रूचि शिक्षण,लेखन,संगीत व भ्रमण में है। साहित्यिक गतिविधि में सक्रिय जी आजाद अनेक साहित्य पटल पर ऑनलाइन काव्य पाठ कर चुके हैं तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। प्रकाशित पुस्तक ‘मेरी मुहब्बत’ साहित्य खाते में है तो कुछ पुस्तक प्रकाशन में हैं।

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