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परम्परा

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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यह जीवन स्त्रोत है,
सम्पूर्ण सद्भाव और से,
रहता ओत-प्रोत है,
एक वैज्ञानिक विचार है
पूर्णतः सहमत होकर,
रहने वाला अवतार है।

परम्परा जीवन को आनंदित,
कर खुशियाँ भर देती है
शालीनता और सुकून,
आहिस्ता-आहिस्ता भरकर
अन्तर्मन को,
आनंदित करतीं रहतीं हैं।

परम्पराओं पर सन्देह और संशय,
करना बिल्कुल सही व उचित नहीं है
जिंदगी में आगे बढ़ने की,
यह एक सही रास्ता व सटीक वजह है।

परम्परा अटूट सिलसिला,
प्रथा और प्रणाली भी कहलाता है
जिंदगी में आगे बढ़ते रहने का,
सुन्दर और स्नेहिल भाव बनकर
लोगों को हमेशा आगे बढ़ना सिखाता है।

परम्परा व्यवहार के ढंग को,
सुन्दर और स्नेहिल बनाती है
प्रगति और विकास में,
सहायक बन कर सदैव
हृदय पुष्प से ख्याति दिलाती है।

परम्परा बिना व्यवधान के,
श्रंखला में मौजूद रहते हुए
जीवन्त रूप में रहना सिखाती है
भविष्य में आगे बढ़ते रहने का,
सुन्दर और व्यवहारिक ज्ञान का
उत्कृष्ट और सर्वोत्तम पाठ पढ़ाती है।

आओ हम सब मिलकर यहां एक,
मजबूत इरादों से सना
परम्परागत तरीके से समाज में,
आगे बढ़ने में लग जाएं
किंवदंतियों और संस्कार को,
पवित्र व कंचन मन से
विश्वास और भरोसे को जीवित,
रखते हुए परम्परा को
आगे बढ़ाने में बड़े हृदय से आगे आएं॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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