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परीक्षा की भी कर लो तैयारी

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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आओ मिलकर बात करें,
अपने मन को साफ करें
नहीं हो रही हमारी परीक्षा,
कारण भी थोड़ा ज्ञात करें।

मैं हूँ जैक का विद्यार्थी,
सभी विधार्थी मेरे साथी
दिसंबर में टर्म-१ की थी बात,
जनवरी में लगता दूर है साथ।

आगे आ गया है ‘कोरोना’,
मुझे भी आ रहा है रोना
रोते-रोते दोषी को जान लूँ,
करोना या सरकार पहचान लूँ।

नवंबर-दिसंबर में कोरोना था सोया,
शासन अध्यक्ष बनाने में था खोया
फिर एक नाम को लिया हाथों-हाथ,
महीना बीत जाने पर भी मिला न साथ।

क्या है अनिल की आनाकानी,
या जगन्नाथ की जिद है पुरानी
क्यों हेमंत का हाथ गया है रुक,
आमजन बोल ना पाता दो टूक।

शायद अब हो गई है बहुत देरी,
फिर से होगा सब धान २२ पसेरी
जो था राजा बस राजा ही रहेगा,
प्रजा मेहनत बाद भी प्रजा ही दिखेगा।

सुन लो करता हूँ विनती,
सुनने में लगाओ ना देरी।
शिक्षा को भी बनाओ मनोहारी,
परीक्षा की भी कर लो तैयारी॥

परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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