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फूल

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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रखूँ किस पृष्ठ के अंदर,
अमानत प्यार की सँभले।
भरी है डायरी पूरी,
सहे जज्बात के हमले।
गुलाबी फूल-सा दिल है,
तुम्हारे प्यार में पागल-
सहे ना फूल भी दिल भी,
हकीकत हैं,नहीं जुमले।

सुखों की खोज में मैंने,
लिखे हैं गीत अफसाने।
रचे हैं छंद भी सुंदर,
भरोसे वक्त बहकाने।
मिला इक फूल जीवन में,
तुम्हारे हाथ से केवल-
रखूँगा डायरी में ही,
कभी दिल ज़ान भरमाने।

कभी सावन हमेशा ही,
दिलों में फाग था हरदम।
सुनहली चाँदनी रातें,
बिताते याद में हमदम।
जमाना वो गया लेकिन,
चला यह वक्त जाएगा-
पढ़ेंगे डायरी गुम-सुम,
रखेंगे फूल मरते दम।

गुलाबी फूल सूखेगा,
चिपक छंदों से जाएगा।
गुमानी छंद भी महके,
पुहुप भी गीत गाएगा।
हमारे दिल मिलेंगे यों,
यही है प्यार का मकस़द-
अमानत यह विरासत-सा
सदा ही याद आएगा।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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