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क्या गुनाह किया नुसरत जहां ने…

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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आज हम किस सदी में जी रहे हैं और हम कब तक पोंगापंथी या पुरातन शैली की जीवन जीएंगे,आखिर ये नियम किसने बनाये हैं। किसी ने भी बनाये होंगे तो उन नियमों में भी हम परिवर्तन समय के अनुसार कर सकते हैं। कब तक हम लकीर के फकीर बने रह सकते हैं। अरे भाई,आज फ़िल्मी दुनिया, राजनीति और साहित्य के क्षेत्र में अनेक लोगों ने विपरीत जाति में शादी की,फिल्मों में अभिनेता और अभिनेत्रियां क्या-क्या नहीं करती। धार्मिक क्षेत्र में मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा तथा चर्च आदि में जाकर अभिनय करते हैं, वहां क्या हो जाता है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद और बंगाली फिल्मों की अभिनेत्री नुसरत जहां के दुर्गा पूजा में शिरकत करने पर दारुल उलूम देवबंद के मौलवी ने अपनी नाराजगी जताई है। मौलवी के मुताबिक,-“अल्लाह के अलावा किसी और की पूजा करना हराम है। इस्लाम को ऐसे लोगों की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है।” तो फिर अभिनेताओं नेताओं,मंत्रियों के क्यों तलवे चाटते हैं,उनको कभी फतवा जारी किया ?
मौलवी ने कहा-“उन्हें अपना नाम और धर्म बदल लेना चाहिए। वह पहले ही गैर-मुसलमान से शादी कर चुकी हैं। इस्लाम को ऐसे लोगों की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है।” यह पहली बार नहीं है जब दारुल उलूम ने नुसरत जहां को लेकर अपनी नाराजगी जताई हो। इससे पहले नुसरत जहां के सिंदूर लगाने और मंगलसूत्र पहनने को लेकर भी देवबंद फतवा जारी कर चुका है। सांसद नुसरत के हिंदू शख्स से विवाह करने और मंगलसूत्र पहनने पर देवबंद ने ऐतराज जताया था।
तृणमूल सांसद और अभिनेत्री नुसरत जहां दुर्गाष्टमी के मौके पर दुर्गा पूजा पंडाल में दर्शन करने पहुंची थीं। इस मौके पर नुसरत के साथ उनके पति निखिल जैन भी थे। नुसरत और उनके पति ने माँ दुर्गा की हाथ जोड़कर आराधना की और फिर ढाक (पारंपरिक ढोल) पर भी अपने हाथ आजमाए एवं नृत्य भी किया। एक राजनेता होने के नाते और जिन्होंने मत दिया,उनकी भावनाओं का सम्मान करना सांसद का फ़र्ज़ है। क्या कोई अपराध जैसे-हत्या,बलात्कार, चोरी,डाका,नशीली वस्तु बेचना आदि गैर कानूनन कार्य करता है,तो उस पर कोई फतवा जारी किया जाता हैं ? नहीं,तो नुसरत जहाँ सार्वजनिक रूप से पूजा कर रही हैं तो अपराध है,और यदि अपने घर में करे तो कौन पकड़ने वाला है। अब संकीर्ण मानसिकता की जरुरत नहीं है। अब सब समाज में खुलापन आता जा रहा है। आप जितना विरोध-बंदिश लगाएंगे,उतना लोग विरोध करेंगे और कितने फतवा जारी होने के बाद कितनों ने पालन किया ? या करवाया गया ? निगाह का पर्दा बहुत होता है,नहीं तो पर्दा में रहकर बेपर्दा करना क्या अच्छा है ? हर मजहब के अपने अपने रीति-रिवाज़ हैं,पर उन पर कौन-कितना चल रहा है। असल बात है उनके उसूलों पर चलना,अन्यथा हम सब बहरूपिये बने हैं।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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