कुल पृष्ठ दर्शन : 379

You are currently viewing मन का मौसम सुहाना

मन का मौसम सुहाना

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
***********************************

मन का मौसम सुहाना हो,
यहां नहीं कोई बहाना हो
मन का मौसम लगे सुहाना सफ़र बने,
ज़िन्दगी की डगर नहीं यहां कठिन रहे।

मन का सबसे दिखता एक बड़ा सवाल,
मन का मौसम रखें जैसे सबका ख्याल
अपना घर और संसार सबमें उत्तम लगता सुन्दर,
मन का मौसम सदैव रहे बन कर यहां सिकन्दर।

सुबह की पहली ओस-सा गीला,
कभी इन्द्रधनुष सा दिखे रंगीला
यह अद्भुत निर्मल, श्रंगार है यहां खूब इसका,
मन का मौसम जैसे लगे जो मन से सिसका।

मन का मौसम है हृदय विचरण को,
प्रफुल्लित मन नहीं रहे यहां संभाल
कड़कड़ाती धूप की गर्मी में यहां हर पल,
चित को नहीं रख पाती मुश्किल सम्भाल
मन का मौसम करे एक पुकार,
आज़ समर्पण को है मन तैयार।

मन की मांग सदैव यहां करे यहां खूब पुकार,
आजा जल्दी-जल्दी मौसम, है तुम्हारी दरकार
नहीं रोक सकता हूँ अब मैं अपना-सा मन,
सब कुछ है दिखता है जैसे मन में है क्रंदन।

सावन आश्विन शुक्ल व कृष्ण पक्ष का,
दिल से शुक्रिया अदा है जो यहां दिखता
मन में खूब यह दावा है हर क्षण मेरा,
मन का मौसम लगता फ़िदा सुनहरी।

सावन की फुहार यहां,
दिल में लाती बहार है
घर के आँगन में मन का मतवाला मौसम,
बना देती खुशमय, लगती यह गुलजार है।

आम और लीची का जब आता है यह मौसम,
दिल का मौसम खुशनुमा यहां बन जाता है
मन का मौसम सुहावना, जीवन के भीड़-भाड़ सफ़र में,
याद करते हुए मन-आँगन में खुशियाँ खूब दिलाता है।

सखियों संग यहां यह अनमोल मानसून की,
पहली लहरें खूब मस्त समां यहां दिखलाता है
आजा-आजा मेरे मन के दिल के राजा,
खूब मन के मौसम को यह सुनाती है।

मन का मौसम यहां एक सफ़र में आगे,
चितचोर बन यहां खूब हमें सताता है।
नादानियाँ और शोखियाँ है बहुत,
हम पर खूब हर पल दिखलाता है।

तरन्नुम में खुशहाली लाने की बातें,
घर-घर जाकर अब बोल रहीं हैं
ज़िन्दगी सुनसान न हो जाए कभी,
सब मन के दर्पण यहां खोल रही है।

मन को प्रफुल्लित करता है यह मौसम,
खुशियाँ बिखेरने में हर क्षण लग जाता है
मन का मौसम मौका पाकर ख़ुद से यहां,
हर मन मस्तिष्क को शीतल कर जाता है।

मन का मौसम यहां खूब करे पुकार,
नहीं रहीं है कभी कहीं कोई तकरार।
खूब खुशियाँ लेकर अगर सदैव जो आए,
सबके मन में दिल से जो हम करें सत्कार॥

परिचय–पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

Leave a Reply