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माँ

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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साहित्य की पाठशाला
(रचनाशिल्प:चार चरण २२ वर्ण प्रति चरण,१०-१२ वर्ण पर यति,
चरणान्त गुरु,(२११×७) +२ (भगण×७)+गुरु,चारों चरण समतुकांतl)

कर्ण महा तप तेज बली,
२१ १२ ११ २१ १२
सुत मात तजे पर मात रखे।
११ २१ १२ ११ १२ १२
वीर सुयोधन मीत मिले,
२१ १२११ २१ १२
नित भाव सहोदर स्वाद चखे।
११ २१ १२११ २१ १२
सूत सपूत कहें सब ही,
२१ १२१ १२ ११ २
जननी हर हाल स्व नैन लखे।
११२ ११ २१ १ २१ १२
ईश अचंभित देख जिसे,
२१ १२११ २१ १२
गिरि धारि सके निज एक नखे।
११ २१ १२ ११ २१ १२
………….
शीश झुके इस भू हित में,
मिट जाय धरा हित भारत के।
वीर शहीद धरा जनमें,
हित युद्ध किये जन आरत के।
धीर सपूत अनेक हुये,
कवि काव्य रचे मन चाहत के।
पीड़क पूत धरा पर जो,
हकदार वही जन लानत के।
…………
उत्सव फाग बसंत सजे,
२११ २१ १२१ १२
जब मात महोत्सव संग मने।
११ २१ १२११ २१ १२
जीवन दान मिला अपना,
२११ २१ १२ ११२
तन माँ अहसान महान बने।
११ २ ११२१ १२१ १२
दूध पिये जननी स्तन का,
२१ १२ ११२ ११ २
तन शीश उसी मन आज तने।
११ २१ १२ ११ २१ १२

धन्य कहें मनुजात सभी,
२१ १२ ११२१ १२
जन मातु सुधीर सुवीर जने।
११ २१ १२१ १२१ १२
………..

भाव सुनो यह शब्द सखे,
जनमे सब ईश सुसंत जहाँ।

पेट पले सब गोद रहे,
अँचरा लगि दूध पिलाय यहाँ।

मात दुलार सनेह हमें,
वसुधा पर मात मिसाल कहाँ।

मानस आज प्रणाम करें,
धरती पर ईश्वर मात जहाँ।
……….
पूत सुता ममता समता,
करती सम प्रेम दुलार भले।

संतति के हित जीवटता,
क्षमता तन त्याग गुमान पले।

आँचल काजल प्यार भरा,
शिशु देय पिशाच बलाय टले।

आज करे पद वंदन माँ,
हित पंथ निशान पखार चले।
……….
पूत सपूत कपूत बने,
जग मात कुमात कभी न रहे।

आतप शीत अभाव घने,
तन जीवन भार अपार सहे।

संत समान रही तपसी,
निज चाह विषाद कभी न कहे।

जीवन अर्पण मात करे,
जब पूत कपूत सु आस बहे।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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