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मातृभाषा का सम्मान हो

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस विशेष….

मातृभाषा जन्मोपरांत,
जीवन का प्रथम पथ्य है
यही सांस्कृतिक समर्पण,
और सामाजिक सत्य है।

यह प्रथम सीख है,
राष्ट्रीयता का उत्तम
व सर्वोत्तम प्रमाण है,
ज़िन्दगी में सफल होने का
सर्वोत्तम अभिमान है।

यह अर्जित ज्ञान और,
उत्तम प्रयोग की
अभिव्यंजना का सशक्त,
और सम्बल जरिया है
यह जन-जन में सम्मान,
बढ़ाने के इस मूल तन्त्र को
हम सबको करना,
दिल से अदा करना शुक्रिया है।

मानसिक विकास यात्रा में,
महत्वपूर्ण आधार ज्ञान है
मातृभाषा का अनादर करना,
माँ का ही अपमान है।

बच्चों के व्यक्तित्व के,
विकास और विस्तार में
यह एक मूल आधार है,
स्वाभाविक माध्यम से ओत-प्रोत
मातृभाषा का अद्भुत सौन्दर्य,
बढ़ाता वैश्विक प्रचार है।

यह सार्थक प्रयास संग,
विचारों के आदान-प्रदान का
सर्वोत्तम प्रकार है,
हम सबको सदैव व
हरपल मातृभाषा का,
सदैव देती एक,
उत्कृष्ट आधार है।

यह राष्ट्रीय संस्कृति का,
सर्वोत्तम प्रतीक है
सृजनात्मक शक्ति को,
बढ़ाने और उन्नयन में
माध्यम संग धारा के रूप में,
मातृभाषा सबसे लगती
आज़ भी सटीक है।

मातृभाषा संकल्प का,
सूत्रधार और लोक चेतना का
सम्पूर्ण सागर है।
मानवता के विकास का,
एक अनूठा अभिलेखागार है॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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