इंदौर (मप्र)।
उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में ४ अक्टूबर राष्ट्रीय पुस्तक मेले में एक महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को बतौर सारस्वत अतिथि संबोधित करने का सुअवसर मिला। संगोष्ठी में देश के विभिन्न हिस्सों से आए विद्वानों ने ‘साहित्य में प्रकृति बोध एवं पर्यावरण चेतना’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।
विश्व साहित्य सेवा ट्रस्ट (आगरा) तथा माधवी फाउण्डेशन (लखनऊ) ने मिलकर यह आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. मिथिलेश दीक्षित की प्रेरणा से रखा था। उद्घाटन सत्र ‘अभिदेशक’ के संपादक डॉ. ओंकार नाथ द्विवेदी की अध्यक्षता और पद्मश्री डॉ. विद्या बिन्दु सिंह के मुख्य आतिथ्य में हुआ। विशिष्ट अतिथि राम निवास पंथी, प्रो. आजेंदर प्रताप सिंह, यशवन्त सिंह चौहान व अनुकृति के संपादक डॉ. लवलेश दत्त रहे।
‘हाइकु मंजूषा’ के डॉ. मिथिलेश दीक्षित की रचनाधर्मिता पर केन्द्रित विशेषांक के साथ कई पुस्तकों का लोकार्पण इस अवसर पर किया गया। शिक्षा, साहित्य, मीडिया व समाज सेवा आदि क्षेत्रों में विशिष्ट भूमिका निभाने के लिए अनेक लोगों को सम्मानित किया गया।
दूसरा सत्र डॉ. विश्वंभर शुक्ल की अध्यक्षता व डॉ. दिनेश चन्द्र अवस्थी के मुख्य आतिथ्य में हुआ। सारस्वत अतिथि डॉ. उमाशंकर शुक्ल ‘शितिकंठ’ एवं डॉ. राम नरेश सहित विशिष्ट अतिथि डॉ. विशाल सिंह, डॉ. शैलेष गुप्त वीर, प्रदीप कुमार दाश व विनय श्रीवास्तव रहे। उद्घाटन सत्र का संचालन प्रो. कल्पना दुबे और द्वितीय सत्र का प्रो. सुभाषिनी शर्मा ने किया। आभार डाॅ. मोहन मुरारी शर्मा ने माना।