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सच्ची दीवाली

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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भाइयों आने वाली है धनतेरस,
पास हो पैसे तो लो इसमें रस
ना हो पैसे तो फिर तू तरस,
कहूँ मैं हर परिस्थिति में तू हँस।

करते हो भाई तुम यदि व्यापार,
सजाए होंगे सामानों से दरबार
खूब होगा इस दिन तेरा कारोबार,
मनाएंगे खुशी ये सब सपरिवार।

अगर हो तुम अधिकारी या नेता,
फिर बनोगे इस दिन बड़े क्रेता
सामानों से भरेगी इसकी झोली,
मनाएंगे ये जमकर अब दीवाली।

हो अगर तुम सामान्य जन,
ना जुटा पाए हैं पर्याप्त साधन
बच्चों को खुश करने का है मन,
उनकी खुशी में सफल इनका जीवन।

कहे ‘राजू’ बनाकर एक ही सुर,
धन तेरस में सामान लें भरपूर
रखें इस बात का ध्यान जरूर,
कोई ना हो दुखी और मजबूर।

इस दीवाली हो ना कोई हताश,
करेंगे सब मिल एकमात्र प्रयास।
भाइयों सबकी दीवाली हो खास,
सच्ची दीवाली का हम करें प्रयास॥

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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