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समझदारी से काम लें,हृदय की देखभाल करें

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
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यह मानव शरीर परमपिता परमेश्वर की अनमोल संरचना है। इसका मूल्य आप आँक ही नहीं सकते। सभी जानते हैं कि,जब इन्सान माँ के पेट में होता है,तभी से हृदय धड़कना शुरू कर देता है और इंसान की मृत्यु होने पर ही इसकी धड़कन बंद होती है।
हम थकावट होने पर आराम करते हैं। रात को सोते हैं,लेकिन हमारा हृदय लगातार धड़कता रहता है। हृदय ने धड़कना बंद किया तो जिंदगी का खेल खत्म,तो हमारी भी जिम्मेवारी बनती है कि हमारे शरीर के इतने महत्वपूर्ण अंग का ख्याल रखें।
वर्तमान समय में खान-पान और तनाव भरे जीवन के कारण हृदयाघात के मामले बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। बाजार में तैयार खाने वाले पदार्थ(फास्ट फूड)का इसमें सबसे ज्यादा योगदान है।
एक बात तो सबको पता है कि,हम फटफटिया चलाते समय रक्षा की दृष्टि से सिर पर टोप इसलिए पहनते हैं,कि किसी दुर्घटना की स्थिति में हमारा सिर सुरक्षित रहे। बिल्कुल ऐसे ही हमारी जिम्मेवारी बनती है कि,हम हृदय की भी ऐसे ही देखभाल करें।
आजकल हृदय प्रतिचय (ब्लॉकेज) धीरे-धीरे होता है,जिसका हमें पता ही नहीं चलता।बाद में इसका घातक परिणाम दिल का दौरा (अटैक)के रुप में आता है। इस प्रतिचय से बचाव के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना बेहद जरूरी है। इस समस्या से राहत पाने के लिए पित्तसांद्रव मोम (कोलेस्ट्रोल) को कम करें,तेलीय पदार्थों से दूर रहें। अधिक देर तक एक ही जगह पर न बैठे रहें, व उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) को नियंत्रित रखें,साथ ही सिगरेट पीने की आदत तो जल्द से जल्द छोड़ें। यही नहीं,वजन नियंत्रित रखने के साथ ही हाइपर कोलेस्ट्रोमिया और मधुमेह को भी कम करें।नियमित व्यायाम कर प्रतिचय के खतरे को कम किया जा सकता है। रोजाना २-३ किलोमीटर पैदल चलना,साथ ही सूर्य नमस्कार भी लाभदायक है।
इसलिए,दिल के मरीजों को जीवनशैली में सुधार लाना काफी जरूरी होता है। अगर समय रहते (खासकर ४० की उम्र के बाद) हम समझदारी से काम लें,तो हृदयाघात की समस्या से बचा जा सकता है।

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