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हरियाला सावन

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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हरित धरा हो सारी,
तरुण गिरि श्रंगारी,
मीत गीत शीत संग,
झूमें पुरवाइया।

तरु खग वन्य जीव,
रट रहे पीव-पीव,
तीज पर्व वृक्षों पर
झूलती कुमारियाँ।

आएँ मन भावन जो,
भाए मन सावन वो,
दूर होवे तब सब,
मन से दुस्वारियाँ।

खेत व फसल प्यारी,
वृक्ष रोपि मेड़ क्यारी,
नीर का प्रबंध कर
लाएँ खुशहालियाँ।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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