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अच्छा है

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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ममता… साथ निभाना अच्छा है,
समझे… उसे समझाना अच्छा है।

नेकी… करते जो हाथ जले तो,
गलतियाँ… दोहराना अच्छा है।

गुस्से से… जब खून उबलता हो,
गम… उस वक्त चबाना अच्छा है।

जेहन… कूड़े में जो बर्फ जमा,
फिर तो… आग लगाना अच्छा है।

सुन लो… मुँह ऊपर कहने वालों,
शख़्त… जिगर बनवाना अच्छा है।

काली रातों… की नम साये से,
दिन की… तपन सुहानी, अच्छा है।

तन-मन… को जो बात जलाती हो,
वो बद… याद भुलाना अच्छा है।

दिल… जहर भरी मीठी बोली से,
मन को जरा दुखाना अच्छा है।

झूठी तसल्ली सतही दिलासा,
इससे तो तड़पाना अच्छा है।

शब्दों के… लच्छे में उलझाना,
उससे सही बहाना अच्छा है।

तोड़ने किसी की आशा से भी,
दिलासा ना दिलाना अच्छा है।

जो खरी-खरी कहते हो जाना,
खारा सुनने आना अच्छा है।

कुछ सच… को भी पर्दे में रख कर,
जिंदगानी… बचाना अच्छा है॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।