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अच्छी सीख

प्रेरणा सेन्द्रे
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष………..

दीवाली के आते ही चौदह साल का बेटा पटाखे के लिए जिद करता था। इस वर्ष भी वही हुआ पटाखे के लिए दीवाली की सुबह मैंने अपने घर के दरवाज़े पर एक गणेश जी की सीनरी टाँगी,जिसे मैंने पन्द्रह साल से संभालकर रखा था,कि नये घर में टाँगूँगी। चूँकि इस बार मेरा नया घर था,तो रात को पूजा से निवृत्त हो बेटा बाहर पटाखे जला रहा था। अचानक से बारह गुच्छों का पटाखा फूटा तथा चारों ओर फैल गया। एक मेरे घर की पार्किंग में आया,जहाँ मैं,पति,मेरा बेटा और उसका दोस्त खड़े थे। पताका यहाँ-वहाँ से होता हुआ हम सबको बचाकर सीधे गणेश की सीनरी में लगा,जो तीन टुकड़ों में टूट गयी। थोड़ी देर सब स्तब्ध रहे। बेटा अंदर आकर बहुत रोया और बोला-“अब कभी पटाखे नहीं जलाऊंगा।” मैं थोड़ी देर शांत रही,फिर बोली-“जो हुआ,सो हुआ। पहले मंदिर में जाकर ईश्वर को धन्यवाद दो कि उन्होंने हम सबको बचाकर मुसीबत अपने ऊपर ले ली। जाको राखे सांईया मार सके ना कोय।”
फिर हम सब भूलकर सामान्य हो गए। बेटे के लिए अच्छा सबक बना था। बाल उम्र में घटित कोई भी घटना जीवनभर के लिए एक सीख बन जाती हैl शायद हादसे से उसके मन में ईश्वर के प्रति आस्था जागृति हुई हो।

परिचय : प्रेरणा सेन्द्रे का निवास इन्दौर में ही है। एमएससी और बीएड(उ.प्र.) तक शिक्षित होकर आप वर्तमान में योग शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं। आपने योग का कोर्स भी किया है। लेखन में आप शौकियाना हैं। श्रेष्ठ लेखन के लिए भोपाल में सम्मानित हो चुकी हैं। आपकी जन्म तिथि-१४ नवम्बर १९७१ हैl वर्तमान में इंदौर(म.प्र.) में ही रहती हैंl सामाजिक गतिविधि में आप थैलीसीमिया के लिए कार्यरत संस्था में संयुक्त सचिव पद पर सेवारत हैंl लेखन विधा में-कविता,कहानी,लघुकथा लिखती हैंl  आपको साहित्यिक संस्थाओं द्वारा शब्द शक्ति सम्मान आदि दिए गए हैं,तो विशेष उपलब्धि में जय महाकाल @ सिंहस्थ के लिए इंदौर में सम्मान,भोपाल में सम्मान और साझा संग्रह में रचना प्रकाशन के लिए सम्मान पाना हैl श्रीमती सेन्द्रे की लेखनी का उद्देश्य-अपने विचारों को लेखनी से जीवित रखना एवं दूसरों तक पहुँचाना हैl

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