हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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‘अटल’ जिंदगी…
अटल न जीवन रहा कभी भी,
न अजर है रहने वाला
ये जीवन है मय जन्म-मरण की,
यह जग है मधुशाला।
निकल गया जो पल इस जीवन का,
वह बन जाता है यादों का प्याला
जीवन क्षण-क्षण है बहता दरिया,
इसे जाता न कभी संभाला।
आए कई और गुजर गए,
क्यों अटल होने के सपने है संजोए ?
यहां हो लिए हैं रावण, कंस सरीखे कई,
आखिर तुम किन मृदुल सपनों में है खोए ?
जो आया है वह जाएगा जरूर,
यह रीत यहां की पुरानी है।
अमर रहा वही इस जग में,
जिसने रीत यहां की मानी है॥