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‘अत्त दीपो भवः’

नमिता घोष
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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गौतम बुद्ध देव आज भी प्रासंगिक है। गौतम बुद्ध देव को ‘लाइट ऑफ एशिया’ के नाम से पुकारने का सबसे महत्वपूर्ण कारण है उनके विचार,उनकी शिक्षाएं। वे दु:ख का कारण एवं निवारण बताते हैं। गृहस्थों के लिए जीवन जीने की पद्धति बताते हैं,जिसे ‘पंचशील’ कहा जाता है। वे दुनिया के पहले ऐसे विचारक हैं,जो यह कहते हैं कि ‘अपना दीपक खुद बनो’,याने ‘अत्त दीपो भवः।’ वे कहते हैं कि कोई बात इसलिए नहीं मानो कि कोई बड़ा व्यक्ति कह रहा है,या किसी पवित्र ग्रंथ में लिखा है,या मैं कह रहा हूँ। इस बात का स्वयं मूल्यांकन करो और अनुभव करो,तभी वह बात मानो। यही वह पहल थी, जिसके कारण वे सर्वत्र स्वीकार किए गए।
दुनिया के अन्य धर्मों की तरह बुद्ध उपासना का कोई एक प्रकार या रिवाज अथवा कोई रूमानी आदेश नहीं है,जिससे यह तय हो कि आप बुद्धिस्ट हैं। सिर्फ बुद्ध के विचारों को मानना जरूरी है,जिसे सम्यक विचार कहते हैं। यही कारण है संसार के सारे बुद्धिस्ट की उपासना पद्धति अलग-अलग है। जापान के बुद्ध में वहाँ की संस्कृति रची-बसी है,ठीक उसी प्रकार चीन के बुद्ध में वहाँ की संस्कृति समाई हुई है। बुद्ध को मानने के लिए वहाँ की संस्कृति को बदलने की आवश्यकता नहीं है,लेकिन सभी जगह पंचशील,अष्टशील पाली भाषा में ही स्मरण किए जाते हैं।
भगवान बुद्धदेव कहते हैं,-‘जीवन ऐसे जिओ,जैसे वीणा के तार। वीणा के तार को इतना ढीला मत रखो कि उसकी ध्वनि बेसुरी लगे और इतना ना कसो कि उसकी ध्वनि कानो में चुभे,वीणा के तारों को ऐसे कसो कि उससे मधुर संगीत की उत्पत्ति हो। लोगों को खुशी मिले।’ याने जीवन को वीणा के तारों की तरह जीने की बात बुद्धदेव कहते हैं।
दुनिया का ऐसा कोई हिस्सा नहीं बचा था,जहाँ बौद्ध भिक्षुक के कदम न पड़े हों। दुनियाभर के हर इलाके से खुदाई से उनकी प्रतिमा निकलती है। ‘बुत परस्ती’ शब्द की उत्पत्ति ही बुद्ध शब्द से हुई है। बुद्ध के ध्यान और ज्ञान पर बहुत से मुल्कों में शोध जारी है। पश्चिमी देशों के बुद्धिजीवी और वैज्ञानिक बुद्ध को बड़ी गंभीरता से ले रहे हैं। आज के परिप्रेक्ष्य में बुद्ध की प्रासंगिकता और भी जरूरी है-‘बुद्धम शरणम गच्छामि।’

परिचय-नमिता घोष की शैक्षणिक योग्यता एम.ए.(अर्थशास्त्र),विशारद (संस्कृत)व बी.एड. है। २५ अगस्त को संसार में आई श्रीमती घोष की उपलब्धि सुदीर्घ समय से शिक्षकीय कार्य(शिक्षा विभाग)के साथ सामाजिक दायित्वों एवं लेखन कार्य में अपने को नियोजित करना है। इनकी कविताएं-लेख सतत प्रकाशित होते रहते हैं। बंगला,हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में भी प्रकाशित काव्य संकलन (आकाश मेरा लक्ष्य घर मेरा सत्य)काफी प्रशंसित रहे हैं। इसके लिए आपको विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया,जबकि उल्लेखनीय सम्मान अकादमी अवार्ड (पश्चिम बंगाल),छत्तीसगढ़ बंगला अकादमी, मध्यप्रदेश बंगला अकादमी एवं अखिल भारतीय नाट्य उतसव में श्रेष्ठ अभिनय के लिए है। काव्य लेखन पर अनेक बार श्रेष्ठ सम्मान मिला है। कई सामाजिक साहित्यिक एवं संस्था के महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत नमिता घोष ‘राष्ट्र प्रेरणा अवार्ड- २०२०’ से भी विभूषित हुई हैं।

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