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अथक श्रम पूर्वक हस्तलिखित पत्रिका का पुनः प्रकाशन स्वागत योग्य

लोकार्पण…

पटना (बिहार)।

पुराने जमाने की ऐतिहासिक हस्तलिखित और साइक्लोस्टाइल पत्रिका की परंपरा को जीवंत रखने का सार्थक प्रयास करते रहे हैं, हमेशा कुछ नया करने का जुनून रखने वाले हैं सिद्धेश्वर। आज प्रिंट मीडिया के उत्तरोत्तर विकास के बावजूद प्राचीन काल को पूर्णजीवित रखने के उद्देश्य को लेकर अथक श्रम पूर्वक तैयार की गई हस्तलिखित पत्रिका का पुनः प्रकाशन स्वागत योग्य है।
प्रयोगधर्मी रचनाकार एवं चित्रकार सिद्धेश्वर के सम्पादन में ‘अवसर साहित्यधर्मी’ सचित्र हस्तलिखित मासिक पत्रिका के जून अंक का लोकार्पण करते हुए प्रख्यात साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने यह बात कही।
मुख्य अतिथि लेखिका ऋचा वर्मा ने कहा कि, सिद्धेश्वर जी का श्रम और मेहनत कामयाब होता रहा है। विशिष्ट अतिथि कवयित्री डॉ. पूनम श्रेयसी ने कहा कि, इस पत्रिका में उनका श्रम, चित्र कौशलता और श्रेष्ठ रचनाओं का चयन हमारा ध्यान आकर्षित करता है।
पटना के कंकड़बाग स्थित सिद्धेश सदन में एक सारस्वत साहित्यिक संगोष्ठी में लोकार्पण के पश्चात श्री द्विवेदी ने सारगर्भित लघुकथा और कविता का पाठ किया। रजनी श्रीवास्तव, कथाकार जयंत, डॉ. श्रेयसी, सिद्धेश्वर जी सहित मधुरेश नारायण आदि ने भी रचना पाठ किया।

अतिथि साहित्यकारों का स्वागत बीना गुप्ता ने किया। इंदू के धन्यवाद ज्ञापन के साथ समापन हुआ।

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