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अब न रूठना

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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तुमको गम नहीं,उतना रूठ जाने का,
जितना है हमको,किसी के न मनाने का।

हम सोचते थे अक्सर,आओगे तुम मनाने,
तुमने सोचा मना लेंगे,कौन से हैं बेगाने…
आएंगें तो कहेंगे कि-अब न रूठना,
हम भी कह देंगे,-दिल न दुःखाना।

मनाकर उन्हें जो ले आएंगे हम,
हर ओर होगा खुशी का मौसम…।
गुलशन भी बहारों से भर जाएगा,
रंग हर तरफ दोस्ती का नजर आएगा॥

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