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‘अमर अकबर एंथोनी’…यादों के झरोखे से

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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भाग २………
‘अब तक छुपाए रखा,शोला दबाए रखा,
देख के तुमको दिल बोला है
हमको तुमसे हो गया है प्यार…’
यह वह लाजवाब गाना है जिसमें देश के महानतम गायकों का एक गुलदस्ता था,जो फ़िल्म इतिहास में केवल एक बार हो पाया था। गाना गाया था मुहम्मद रफ़ी,लता मंगेश्कर, किशोर कुमार और मुकेश ने। मौसिकीकार (संगीतकार) लक्ष्मीकांत-प्यारे लाल और नगमा निगार-आनंद बक्शी थे।
भारतीय फिल्म इतिहास में यह पहली और आखरी बार हुआ था कि इन गायकों का गुलदस्ता एकसाथ सज़ा हो।
खैर बात निकली है तो फ़िल्म अमर अकबर एंथोनी(ए ए ए ) पर भी चर्चा कर लेते हैं। फ़िल्म के निर्देशक मनमोहन देसाई ने अखबार में एक खबर पड़ी कि एक ईसाई शख्स जैक्सन अपनी ज़िंदगी से तंग आकर अपने तीन बच्चों को पार्क में छोड़ जाता है। फिर वह आत्महत्या कर लेता है,इस खबर से प्रभावित होकर मनमोहन देसाई ने कहानीकार प्रयागराज से चर्चा करना शुरू की और फिर नए-नए तार बुनते चले गए। चर्चा किसी भी विषय को विस्तार के साथ उदगम और अंत तक ले जाती है। एक विचार कि यदि जैक्सन आत्महत्या नहीं करता और वापस आता तो बच्चे किस हालत में मिलते! विचारो पर सोंचकर कहानी तैयार हुई अमर अकबर एंथोनी(ए ए ए ) की,कि तीन बच्चे अलग-अलग मज़हब के साथ परवरिश पाते हैं।
हिन्दू,मुस्लिम,ईसाई-जो इस देश की खूबसूरती है। बचपन में बिछड़ना एवं जवानी में मिलना…यही इसकी कहानी बुनी गई थी।
फ़िल्म की कहानी में मनमोहन देसाई की पत्नी जीवनप्रभा ने कई विचार रखे थे जो कहानी में सम्मिलित किये गए,इसीलिए फ़िल्म कहानी में जीवनप्रभा को श्रेय दिया गया। फ़िल्म के संवाद लिखे थे क़ादर खान ने और पटकथा प्रयागराज की थी।
फ़िल्म में अमिताभ का नाम पहले एंथोनी फर्नांडिस रखा गया था, लेकिन जब गाने ‘माय नेम इस एंथोनी फर्नांडिस’ पर लय मिलाने में लक्ष्मी-प्यारे को तकलीफ आ रही थी तो आनंद बक्शी से विचार करके गोंसाल्विस किया गया,जिससे गाने की लय और ताल की तारतम्यता गजब की बन गई।


इसी गाने की शुरूआत में कुछ पक्तियां अंग्रेजी में बोली गई हैं,जो मज़ाकिया लगती है,लेकिन यह पक्तियां बेंजामिन डिज्रेल (ब्रिटिश राजनेता) के १८३८ के भाषण से ली गई थी। साथ ही एंथोनी गोंसाल्विस १९३० के दशक के संगीतकार थे जो प्यारेलाल के गुरू भी थे तो प्यारेलाल ने आदरांजलि स्वरूप इस नाम को इस्तेमाल करते हुए अपने गुरू को आदरांजलि भी दी थी।
फ़िल्म के एक दृश्य में जब ऋषि कपूर(अकबर)अपनी प्रेमिका से मिलने अस्पताल जाते हैं तो डॉ.सलमा(नीतू सिंह कपूर) को सलमा की जगह नीतू बोल देते हैं, लेकिन मनमोहन ने इस दृश्य को ज्यो का त्यों रख दिया,जो बड़ी गलती मानी जाएगी। बात निकली है गलती की तो इसी फिल्म की एक बड़ी गलती और बताते चलूं-प्राण(किशनलाल) फ़िल्म में संवाद बोलते हैं कि-२० साल हो गए मेरे बच्चों को बिछड़े हुए,वह फादर (नज़ीर हुसैन)जो अमिताभ को पालते हैं को बोलते हैं कि-२२ साल पहले यह बच्चा हमको यहीं चर्च के गेट पर मिला था,लेकिन फ़िल्म की मुख्य नायिका जेनी(परवीन बॉबी) बोलती है कि-२५ साल गुजर चुके हैं।
एक फ़िल्म-एक कहानी-तीन किरदार.. तीनों के बताने में सालों के अंतर,जो बड़ी गलती ही मानी जाएगी।
फ़िल्म में शुरू में इंस्पेक्टर अमर (विनोद खन्ना)की जोड़ी न बनाते हुए उन्हें एक संजीदा पोलिस अधिकारी के किरदार में अकेला रखा गया था,तो विनोद ने मनमोहन को प्रस्ताव दिया या ये कहें कि हठ की कि उनकी जोड़ी बनाई जाए,तो बात मान ली गई और शबाना आज़मी को लिया गया।
फ़िल्म में एक अस्पताल का दृश्य जिसमें माँ(निरूपा रॉय) को तीनों बेटे एकसाथ खून देते दिखते हैं, पर अमिताभ ने मनमोहन को विरोध जताया तो मनमोहन बोले-यही वह संवेदनाएं या भावनाएं हैं है जो बिकती है दोस्त।
इसी फिल्म में अमिताभ ने एक दृश्य किया है,जो कि आईने के सामने होता है उस पर चर्चा अगले भाग में…।

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

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