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अवतार राष्ट्र धरोहर

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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है विभूतियाँ राष्ट्र धरोहर, क्यों इनको बपौती बनाते हैं ?
आदर्श रखा सुविचार का, उसे अपनी कठौती जताते हैं।

कल्मष भर मन में दल सारे,
तीर नजर नरश्रेष्ठ निहारे…
खुन्नस उनसे रखे अकारण,
सर्वहित सर्वजन के कारण…
जिसने निज जीवन होम दिया,
मानवता को नव व्योम दिया…
उनको छल-द्वेष भेंट चढ़ा कर,
बंधना छोड़ के विचार पर, विचारकों को ही बांधा धर
महापुरुषों के विचारों पर, अनुचारी ही लगाते पनौती हैं।

पकड़ा गाँधी को पंजे ने,
जकड़े भीम किसी फंदे में…
शुभ विचार से जिनका नाता,
श्यामाचरण बना कर काँटा…
शहीदों को शहीद करने की,
कोशिश में ‘आप’ पकड़ने का…
पेटेंट कर रखा सुभाष को,
कोई रोक उनकी साँस को…
इस महापुरुष पर हक मेरा, इस विचार पर मत कर फेरा…
नाम कभी मत लेना इनका, विपक्ष चुनौती दिखाते हैं।

कबीर ने सबकी खैर मांगा,
बाजार खड़ा जोड़ा धागा…
संत रैदास किसी ने बांटा,
हक का अपना तमगा टाँगा…
लाये थे तम हटा सवेरा,
नहीं करो सुन तेरा-मेरा…
इनके सभी, सब इनके हैं,
देश धरोहर मोती मनके हैं…।
बंधना छोड़ शुभ विचार पर, बाँधा विचारकों को ही धर।
महापुरूषों के विचार पर, अनुचारी ही लगाते पनौती हैं…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।