कुल पृष्ठ दर्शन : 404

You are currently viewing ‘अवसर साहित्य यात्रा’ साहित्य-जगत के लिए अनमोल उपहार

‘अवसर साहित्य यात्रा’ साहित्य-जगत के लिए अनमोल उपहार

पटना (बिहार)।

वरिष्ठ चित्रकार और साहित्यकार सिद्धेश्वर द्वारा सम्पादित ई-पत्रिका ‘अवसर साहित्य यात्रा’ वस्तुतः आज के साहित्य-जगत के लिए एक अनमोल उपहार है। आपने सजग और समर्थ सम्पादन के साथ सभी नवोदित और स्थापित रचनाकारों को पत्रिका के साथ जोड़ने का सराहनीय प्रयास किया है। यह अंक रचनाकार-परिवार के लिए सिद्धेश्वर जी का एक अभिनंदनीय अवदान है।
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में यह विचार देश के विख्यात समालोचक और साहित्यकार आचार्य ओम नीरव ने साहित्यकार सिद्धेश्वर के सम्पादन में प्रकाशित ई-पत्रिका ‘अवसर साहित्य यात्रा’ के मार्च प्रवेशांक का आभासी लोकार्पण करते हुए व्यक्त किए। परिषद की जनसंपर्क अधिकारी बीना गुप्ता ने बताया कि, समीक्षात्मक मूल्यांकन करते हुए उन्होंने कहा कि, सम्पादक की यह बात बहुत विलक्षण और अभिनंदनीय लगी कि, यह पत्रिका सिर्फ प्रकाशित रचनाओं को साभार प्रकाशित करती है, ताकि इन रचनाओं की पसंद और अधिक पाठकों तक हो सके।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. इंदु उपाध्याय ने कहा कि, इस पत्रिका की खास विशेषता है, चुनी हुई प्रकाशित रचनाओं की चित्रात्मक कलात्मक साभार प्रस्तुति।
विशिष्ट अतिथि लेखिका डॉ. मंजू सक्सेना ने कहा कि, ‘अवसर साहित्य यात्रा’ का प्रकाशन कर सिद्धेश्वर जी ने फिर यह सिद्ध कर दिया कि, वे हिंदी साहित्यकारों की रचनाओं से दुनियाभर को परिचित करवाना चाहते हैं। यह अनोखे अंदाज़ की पत्रिका है, जिसमें हर एक रचनाकार की रचना भी एक अनूठे ढंग में है।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार हरि नारायण हरि ने कहा कि, समकालीन आधुनिक कला के ख्याति प्राप्त कलाकार और साहित्य की लगभग सभी विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर सिद्धेश्वर का लेखन निरंतर जारी रहा है, इनका अवसर सहित यात्रा का सम्पादन करना भी एक श्रमसाध्य और समयसाध्य कार्य है।
वरिष्ठ कथाकार जयंत ने कहा कि, प्रथम तो यह प्रयास करना होगा कि इसका प्रकाशन नियमित रूप से होता रहे।
कवयित्री डॉ. पूनम श्रेयसी, राज प्रिया रानी, शिक्षाविद डॉ. ध्रुव कुमार और कार्यक्रम में रजनी श्रीवास्तव ‘अनंता’ ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।
साहित्य कला संसद के मंच पर इस पत्रिका का भौतिक लोकार्पण करते हुए डॉ. शिवनारायण ने कहा कि, पत्रिका नयन मनोहर होने के साथ-साथ साहित्य की दृष्टि से उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है।

डॉ. अनुज प्रभात, विजया कुमारी मौर्या, पंकज प्रियम, सुनील कुमार उपाध्याय एवं सुधा पांडे आदि की उपस्थिति भी रही।