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आई भ्रष्टाचारन

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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चाँदी की पायल छनन-छनन,सोने के कंगन खनन- खनन।
आयी पहने भ्रष्टाचारन,आयी पहने भ्रष्टाचारन।

छन-छन पायल झंकारों से,नैनों के कुटिल प्रहारों से,
संसद में देखो नाच रही,बतियाती खादी यारों से।
मर्यादा तार-तार करके,गिनवाती सिक्के घनन-घनन,
चाँदी की पायल छनन-छनन,सोने के कंगन खनन- खनन…॥

लहराती कुटिल दिशाओं में,तब सत्य मार्ग अकुलता है,
जब रूप दिखाये यौवन का,तब स्वर्ग नर्क हो जाता है।
नेता बहरे हो जाते हैं,सुनते ना दुखियों का क्रन्दन,
चाँदी की पायल छनन-छनन,सोने के कंगन खनन- खनन…॥

स्नातक पैदल चलते हैं,कुत्ते कारों में घूम रहे,
अनपढ़ नेताजी यान चढ़े,जो आसमान को चूम रहे।
कृषक फाँसी पर झूल रहा,देखे ना दंभी सिंहासन,
चाँदी की पायल छनन-छनन,सोने के कंगन खनन- खनन…॥

मद-मस्त घूमती फिरती है,ये संसद के गलियारों में,
ये पैंठ बनाये बैठी है,हर दल के राजकुमारों में।
कर अट्टहास इठलाती है,होगा कब इसका दंभ दलन,
चाँदी की पायल छनन-छनन,सोने के कंगन खनन- खनन…

सदियों से हमको सता रही,ये उस घर की पटरानी है,
नस-नस में जहर लिए फिरती,ये विष से भरी जवानी है।
‘हलधर’ का हल ही कुचलेगा,इस जहरीली नागिन का फन,
चाँदी की पायल छनन-छनन,सोने के कंगन खनन- खनन…॥

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