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भारत के स्वर्णिम भविष्य के शिल्पकार रहे डॉ.कलाम

संदीप सृजन
उज्जैन (मध्यप्रदेश) 
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स्मरण दिवस २७ जुलाई विशेष

“जिस दिन हमारे सिग्नेचर,ऑटोग्राफ में बदल जाएं,मान लिजिए आप कामयाब हो गये”,इस दिव्य मंत्र से भारत के युवाओं में नई चेतना का संचार करने वाले भारत के सच्चे रत्न थे डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम। डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम वह व्यक्ति थे,जो बनना तो पायलट चाहते थे,लेकिन किन्हीं कारणों से नहीं बन पाए। फिर भी हार नहीं मानी,जीवन ने उनके सामने जो चुनौती रखी,उन्होंने उसे ही स्वीकार कर साकार कर दिखाया। उनका मानना था कि, जीवन में यदि आप कुछ भी पाना चाहते हैं,तो आपका बुलंद हौंसला ही आपके काम आएगा। एक बेहद गरीब परिवार से होने के बावजूद अपनी मेहनत के बल पर बड़े से बड़े सपने को साकार करने का सबसे बड़ा उदाहरण डॉ.कलाम हैं। वे कहते थे-“आसमान की ओर देखो,हम अकेले नहीं हैं,जो लोग सपने देखते हैं और कठिन मेहनत करते हैं,पूरा ब्रह्मांड उनके साथ होता है। आपके सपने सच होने से पहले आपको सपने देखने होंगे। और सपने वो नहीं,जो आप सोते समय देखते हैं,बल्कि सपने वो हैं जो आपको सोने नहीं देते।” डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम एक ऐसे व्यक्तित्व थे,जिन्हें भारत सरकार द्वारा १९८१ में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषणसे,फिर १९९० में पद्म विभूषण से और १९९७ में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। सन २००२ में भारत के राष्ट्रपति के पद को उन्होंने सुशोभित किया। राष्ट्रपति बनने के बाद भी उनके दरवाजे पहले की तरह ही सदा आमजन के लिए खुले रहते थे। कई पत्रों का जबाव तो स्वयं अपने हाथों से लिखकर देते थे। डॉ.कलाम ने देश को विजन २०२० दिया। इसके तहत कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिए 2020 तक अत्याधुनिक करने की खास सोच दी। वे कहते थे कि, देश की तरक्की का रास्ता गाँवों से होकर गुजरता है। गाँवों पर खास ध्यान देना चाहिए। उनकी राय में जब तक गाँव और शहर दोनों जगह बराबर विकास नहीं होगा,तब तक देश का विकास नहीं हो सकता। कलाम ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया २०२०: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम’ में लिखा हैं कि देश को विकसित राष्ट्र में तब्दील करने के लिए पांच क्षेत्रों में काम करना जरूरी है। ये ५ क्षेत्र कृषि और खाद्य प्रसंस्करण,ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं और सोलर पावर का विस्तार,शिक्षा एवं हेल्थ केयर,सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य,सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी,परमाणु प्रौद्योगिकी की वृद्धि के लिए जरूरी तकनीक और रणनीतिक उद्योग। मिशन २०२० के तहत कलाम बच्‍चों,खासकर विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच और समझ विकसित करने की लगातार कोशिश करते रहे। राष्ट्रपति पद से निवृत्ति के बाद २ वर्ष के दौरान ही उनका लक्ष्‍य १०,००,००० छात्रों से मिलना और उन्‍हें भविष्‍य के लिए तैयार करना था। हालांकि,२ साल के बाद भी वे इस काम को लगातार विस्‍तार देते और उनके अंतिम क्षण भी छात्रों को संबोधित करते हुए ही बीते। डॉ.कलाम को विद्यार्थियों के प्रति विशेष प्रेम था,जिसे देखकर संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिन को ‘विद्यार्थी दिवस’ के रुप में मनाने का निर्णय लिया। उनकी लिखी हुई पुस्तकें -विंग्स ऑफ फायर,इंडिया २०२०,इग्नाइटेड मांइड,माय जर्नी आदि काफी प्रसिद्ध है। डॉ. कलाम को ४८ विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डाक्टरेट की उपाधि मिली थी।

उनका जीवन भारत के इतिहास ही नहीं, भविष्य को स्वर्णिम बनाने के लिए समर्पित रहा। वे स्वर्णिम भारत के शिल्पकार थे। जन्मे तो साधारण परिवार में थे,लेकिन जिए असाधारण परिवार में,याने सारे भारत के लोग उनको अपना मान रहे हैं। १५ अक्टूबर १९३१ को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्में और २७ जुलाई २०१५ को आईआईटी गुवाहाटी में संबोधन के दौरान अचानक दुनिया से अलविदा हो गये,लेकिन दुनिया से चले जाने के बाद भी उनके किए गए काम,उनकी सोच और उनका संपूर्ण जीवन देश के लिए प्रेरणास्रोत है।

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