हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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आओ राम अब लौट चलें, फिर से अयोध्या धाम
बहुतेरा हुआ अब छानी में, धारण करो निज स्थान।
भविष्य भारत का तुम हो प्रभु, तुम ही हो वर्तमान
अटकल यदा-कदा आती रहेगी, संभालो अपना काम।
भार धरा का हरो प्रभु तुम, बढ़ाओ भारत का मान
अन्याय-अनीति और अधर्म का, रहे न नामो-निशान।
भूली रीतियाँ और स्मृतियाँ, फिर से हो जाए उदयमान
विश्व-धरा पर परचम लहराए, कि हाँ लौट आए भगवान।
धर्म ध्वजा धरती पर लहराए, धवल में हो प्रभु गुणगान
स्वर्ग-पाताल में भेरी बजे, दसों-दिशाओं में हो सम्मान।
साकार हो वाल्मीकि-तुलसी का, राम राज्य भगवान
संभालो सत्ता अब स्वयं प्रभु तुम, मिटा दो सब त्राहि-माम।
आसुरी वृत्तियों के बाणासुर का, शत्रुघ्न से कराओ निदान
अब बेवड़े के कहने पर मत लगना, रखना सीता का ध्यान।
कहने वाले तो कहते हैं कई कुछ, तुम तो हो करुणा निधान।
माँ के तप पर है हमें भरोसा, बेवड़ी बातों से न होना परेशान॥