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आज हम ना संभले तो..

ममता बैरागी
धार(मध्यप्रदेश)

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जीवन को थोड़ा मथ ले,
जितना प्यारा बचपन बीता
उतना भविष्य भी हाथ ले।
हम रहें या ना रहें,
नाम हमारा रहेगा
इस जग में क्या कर गये,
यहां काम तुम्हारा रहेगा।
बचा लो अपना वतन,
बिक रहा जो घोटाले में।
खुद मिटा रहा मानव,
अपनी ही है संस्कृति।
पानी के लिए हाहाकार,
रूठ रही है प्रकृति।
आज हम ना संभले तो,
फिर ना मौका पाओगे।
भरी इस दुनिया से,
यूँ ही गुजर जाओगे॥

परिचय-ममता बैरागी का निवास मध्यप्रदेश के धार जिले में है। आपकी जन्‍म तारीख ९ अप्रैल १९७० है। श्रीमती बैरागी को हिन्‍दी भाषा का ज्ञान है। एम.ए.(हिन्‍दी) एवं बी.एड. की शिक्षा प्राप्त करके कार्य क्षेत्र-शिक्षण(सहायक शिक्षक ) को बनाया हुआ है। सामाजिक गतिविधि-लेखन से जागरूक करती हैं। संग्रह(पुस्‍तक)में आपके नाम-स्‍कूल चलें हम,बालिका शिक्षा समाज,आरंभिक शिक्षा और पतझड़ के फूल आदि हैं। लेखनी का उदेश्‍य-समाज में जागरूकता लाना है। आपके लिए प्रेरणापुंज- पिता तथा भाई हैं। आपकी रुचि लेखन में है।

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