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आत्मबोध का क्षण

इलाश्री जायसवाल
नोएडा(उत्तरप्रदेश)

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‘एकाकी’ का अर्थ है अकेला। कहने को तो यह अकेलेपन का बोध कराता है किन्तु है बहुत ही विस्तृत..। समूह में या सबके सामने हम स्वयं को प्रस्तुत करते हैं,अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं,पर ‘क्या और कैसे’ इसकी उत्पत्ति एकाकी क्षणों में ही होती है,
क्योंकि हम उन एकाकी क्षणों में ही स्वयं के निकट होते हैं। अपने-आपसे बातें करते हैं,अपनी बातों को,अपने कार्यों,अपने व्यवहार का विश्लेषण करने के साथ-साथ दूसरों के विचारों का या कार्यों का भी विश्लेषण करते हैं। तभी तो उस सोच-विचार के बाद ही हमें वास्तविकता के दर्शन होते हैं। हम अपनी या दूसरों की बातों को गहराई से समझ पाते हैं।
मेरा मानना है कि,सभी को अपने साथ भी थोड़ा समय व्यतीत करना चाहिए। यह एकाकी आत्म-मनन ही हमें आगे बढ़ने का,अपनी ज़िममेदारियां निभाने का एवं प्रेम का हौंसला देता हैं। यह सच है कि हम हमेशा सबका साथ चाहते हैं,पर यह भी उतना ही सच है कि हमें थोड़ा एकाकी भी चाहिए। केवल खुद का विश्लेषण करने के लिए ही नहीं,बल्कि खुश होने के लिए भी…। खुश होने के लिए एकाकी होने की जरूरत नहीं है,किन्तु उस खुशी को महसूस करने के लिए हमें इनकी आवश्यकता है। सोचिए…अपने प्रिय से पहली मुलाकात के विषय में,अपनी वांछित सफलता के बारे में,सुखद भविष्य के विषय में…ऐसे ही न जाने क्या-क्या,आपको खुशी महसूस हुई ना…,पर यह एकाकी क्षण हमें दुखी भी करते हैं। हम अपने दु:ख के बारे में,असफलताओं के बारे में भी इन्हीं क्षणों में सोचते हैं,पर हमें जरूरत है बस इनमें संतुलन बनाने की,वरना ‘अति सर्वत्र वर्जयते’, सिद्ध होते देर नहीं लगेगी।
यह एकाकीपन हमारे लिए तभी लाभप्रद हो सकता है,जब हम इसको स्वयं पर हावी न होने दें। अन्यथा या तो हम निराशा का शिकार हो जाएंगे या ख्याली पुलाव बनाने लग जाएंगे। दोनों ही स्थिति नुकसानदायक है। इसलिए, एकाकी क्षणों में ही सोच लीजिए कि खुद को या अपने प्रियजनों को एकाकी होने से कैसे बचाना है ?

परिचय-इलाश्री जायसवाल का जन्म १९७८ में २५ जून को हुआ हैl अमरोहा में जन्मीं हैंl वर्तमान में नोएडा स्थित सेक्टर-६२ में निवासरत हैंl उत्तर प्रदेश से सम्बन्ध रखने वाली इलाश्री जायसवाल की शिक्षा-एम.ए.(हिंदी-स्वर्ण पदक प्राप्त) एवं बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-हिंदी अध्यापन हैl लेखन विधा-कविता,कहानी,लेख तथा मुक्तक आदि हैl इनकी रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा पोर्टल पर भी हुआ हैl आपको राष्ट्रीय हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार व काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान मिला हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी-साहित्य सेवा हैl इनके लिए जीवन में प्रेरणा पुंज-माता तथा पिता डॉ.कामता कमलेश(हिंदी प्राध्यापक एवं साहित्यकार)हैंl

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