राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
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घर धीरज आने वाला कल तुम्हारा है,
भले ही आज सर्वत्र है घोर निराशा
पर यहीं छिपी है निश्चय कोई आशा,
जिससे उज्जवल भविष्य तुम्हारा है।
माना आज तुम गए हो हार,
पर सत्य है, इसे तू स्वीकार
हार में छिपा ज्ञान न्यारा है,
उज्जवल भविष्य तुम्हारा है।
मत सोंच क्या इसमें खोया,
सोंच तू, क्या यहाँ पाया है
गलतियों को छोड़ बढ़ आगे,
फिर शिखर का ताज तुम्हारा है।
धर धीरज आने वाला कल तुम्हारा है,
देख तुझमें है भक्ति, तुझमें ही है शक्ति
कर्म से तेरे होता सृजन जग सारा है,
फिर मान उज्जवल भविष्य तुम्हारा है।
निराशा से भरे इस मन में,
हमें फिर से आशा भरना है
जीवन के इस संकट सागर से,
नाव नहीं तो, तैरकर पार करना है।
तू चलते-चलते मंजिल देख रहा था,
सुन्दर भविष्य के सपने सेंक रहा था।
टूटे रास्ते, टूटा सपना, उदास मन तेरा है,
धर धीरज, आने वाला कल तुम्हारा है॥
परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।