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इतराता है चाँद

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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इतराता है चाँद तो, पा तुझ जैसा रूप।
सच,तेरा मुखड़ा लगे, हर पल मुझे अनूप॥

चाँद बहुत ही है मधुर, इतराता भी ख़ूब।
जो भी देखे,रूप में, वह जाता है डूब॥

कभी चाँद है पूर्णिमा, कभी चाँद है ईद।
कभी चौथ करवा बने, करते हैं सब दीद॥

जिसकी चाहत वह सदा, इतराता है नित्य।
आसमान,तारे सुखद, चाँद और आदित्य॥

इतराने में है अदा, इतराने में प्यार।
इतराना चंचल लगे, अंतस का अभिसार॥

इतराकर के चाँद तो, देता यह पैग़ाम।
जो तेरे उर में बसा, प्रीति उसी के नाम॥

इतराकर के चाँद तो, ले बदली को ओट।
पर सच उसके प्यार में, किंचित भी नहिं खोट॥

कितना प्यार चाँद है, कितना प्यारा प्यार।
नेह नित्य होकर फलित, करे सरस संसार॥

छत से देखो तो करे, चाँद आपसे बात।
कितना प्यारा दोस्त की, मिली हमें सौगात॥

अमिय भरा है चाँद में, किरणों का अम्बार।
चाँद रखे युग से यहाँ, अपनेपन का सार॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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