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इस गणतंत्र दिवस की महक सबसे न्यारी

डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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गणतंत्र दिवस विशेष….

भारतीय संस्कृति और अस्मिता के साथ-साथ सभी भारतवासियों,सभी भारत-प्रेमियों,भारतीय भाषा प्रेमियों और भारतीय गीत-संगीत के प्रेमियों के लिए यह गणतंत्र दिवस बहुत ही विशेष है। जो अब तक न हुआ अब हो रहा है,यह देख कर सभी भारतवासियों का सीना आज गर्व से चौड़ा हो रहा है। पश्चिम बंगाल,मध्यप्रदेश और महाराष्ट्रवासियों के लिए यह गणतंत्र दिवस इन राज्यों की माटी की महक और संवेदनाओं से भी जुड़ा हुआ है। भारतीय सेना और सेना के शहीदों के परिवारों लिए भी यह गणतंत्र दिवस एक नई खुशी लेकर आया है। यह गणतंत्र दिवस अनेक परिवर्तनों के साथ भारत की माटी की महक ले कर आया है।

गणतंत्र दिवस के आयोजन नेताजी की जयंती से गांधी जी की पुण्यतिथि तक होंगे।

सरकार ने यह फ़ैसला किया है कि गणतंत्र दिवस समारोह के आयोजन अंग्रेजों से युद्ध कर स्वाधीनता की लड़ाई लड़ने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जन्मदिन २३ जनवरी से शुरू होकर अहिंसात्मक तरीके से स्वतंत्रता संघर्ष करने वाले महात्मा गांधी की पुण्यतिथि यानी ३० जनवरी तक चलेंगे।

शहीदों को श्रद्धांजलि भव्य राष्ट्रीय युद्ध-स्मारक पर,जहाँ लिखे हैं शहीदों के नाम,वहीं उनका सम्मान।

बहुत कम भारतवासियों को यह पता था कि १९७१ के युद्ध के पश्चात जहाँ अमर जवान ज्योति प्रज्वलित करते हुए सभी राष्ट्रीय महत्व के अवसरों पर सेना के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाने लगी,उस इंडिया गेट पर अंग्रेजी सेना के सैनिकों के नाम लिखे गए थे। यही नहीं १९७१ की ऐतिहासिक लड़ाई के शहीदों और उसके बाद के अनेक युद्धों के शहीदों तक के नाम वहाँ हैं ही नहीं। भारतीय सेना निरंतर इसके लिए मांग करती रही थी कि दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाया जाए,जहाँ सभी शहीदों के नाम लिखे जाएँ ताकि उन्हें वहां विधिवत श्रद्धांजलि दी जा सके। आखिरकार मोदी सरकार ने दिल्ली में इंडिया गेट के नजदीक ही बहुत बड़े भूखंड पर भव्य राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनवाया और गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम प्रारंभ होने के पूर्व ही सरकार ने इंडिया गेट पर प्रज्वलित अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में स्थानांतरित कर सभी शहीदों को उचित स्थान पर,जहाँ उनके नाम सम्मान सहित लिखे गए हैं,वहाँ श्रद्धांजलि व सम्मान दिए जाने का मार्ग प्रशस्त किया। किसी शहीद बेटे की माँ को,किसी शहीद की पत्नी को, किसी शहीद के पुत्र या पुत्री को कितना सुकून मिलेगा जब उनके अपनों को वहां श्रद्धांजलि दी जाएगी,जहाँ उनका नाम लिखा है। निश्चय ही इससे भारतीय सेना का सम्मान और मनोबल बढ़ेगा।

इंडिया गेट पर आजाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा,स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान।

जहाँ तक इंडिया गेट के इतिहास की बात है तो यह अंग्रेजों द्वारा प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए अपने सैनिकों की याद में बनवाया था। ड्यूक ऑफ़ कनॉट ने १० फरवरी १९२१ को वॉर मेमोरियल यानी इंडिया गेट का शिलान्यास किया था। ड्यूक ऑफ़ कनॉट के नाम पर ही कनॉट प्लेस का नाम रखा गया था। शिलान्यास के १० वर्ष बाद १३ फरवरी, १९३१ को गेट का उद्घाटन हुआ था।
सम्राट जॉर्ज पंचम के नेतृत्व में कोरोनेशन पार्क में ११ दिसंबर १९११ को दरबार में ऐलान हुआ था कि भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली में स्थानांतरित की जाएगी। इसके चलते १९३८ में स्थापित सम्राट जॉर्ज पंचम की मूर्ति गेट पर २१ साल तक लगी रही। यह हमारी स्वतंत्रता के उपहास जैसा था। १९६८ में उसे गेट से उतारकर उत्तर-पश्चिम दिल्ली के बुराड़ी के पास स्थित कोरोनेशन पार्क में पहुंचाया गया। उसे गेट से उतारने के पश्चात वहां पर महात्मा गांधी की प्रतिमा लगाने की चर्चाएं भी सालों तक चलीं,लेकिन कभी ऐसा हुआ नहीं।
इंडिया गेट जहाँ कभी जॉर्ज पंचम की मूर्ति लगी होती थी,उस स्थान पर इस गणतंत्र दिवस का प्रारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च कमांडर और स्वाधीन भारत की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उनकी होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण करके किया गया। आजाद हिंद फौज,जिसने भारत की स्वाधीनता के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध बड़ी संख्या में अपने जवानों का बलिदान दिया,यह उसका सम्मान है।

‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुन शामिल कर संवेदनाओं का सम्मान।

भारतीय सेना के व संबंधित अधिकारियों आदि को छोड़कर शायद ही कोई ‘एबाइड विद मी’ नामक किसी धुन के बारे में जानता होगा। अंग्रेज ‘बीटिंग रिट्रीट’ आदि में इसे बजाते थे और उनकी देखा-देखी या औपनिवेशिक मानसिकता के चलते हमने भी १९५० से गणतंत्र दिवस आयोजन के समापन आदि पर उसे बजवाना शुरु कर दिया था। इस साल समापन में ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुन की गूंज सुनाई देगी,जिसे भारत-चीन युद्ध के बलिदानियों की याद में कवि प्रदीप ने लिखा था,जिसे सी. रामचंद्र ने संगीत दिया था और आवाज मशहूर गायिका लता मंगेशकर ने दी थी। मोदी सरकार ने भारतवासियों के लिए अनजान-सी उस अंग्रेजी धुन के स्थान पर उस धुन को बजाने को निर्णय लिया, जिससे हर भारतवासी के हृदय में देश-प्रेम की तरंगें हिलोरे लेने लगती हैं। १९६२ के चीनी आक्रमण के समय मारे गए भारतीय सैनिकों को समर्पित यह हिंदी देशभक्ति गीत है,जिसे लता मंगेशकर ने नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर गाया था। कोई स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस ऐसा नहीं होगा, जिस अवसर पर यह गीत देश के कोने-कोने में करोड़ों जगह न बजता हो। इस गीत के माध्यम से देशवासी देश के शहीद सैनिकों के बलिदान की मार्मिकता से द्रवित हो कर देश-प्रेम से सराबोर होते हैं।

भारतीय भाषाओं,साहित्यकार व कलाकारों का सम्मान।

‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गीत को गणतंत्र दिवस की धुन बनाना,राष्ट्र की भाषा के गीत को सम्मिलित करना भारतीय भाषाओं का भी सम्मान है। यह उन महान कलाकारों का भी सम्मान है जिनके माध्यम से यह साकार हुआ। भारत कोकिला,भारत रत्न लता मंगेशकर,अनेक पीढ़ियों ने अपनी भावनाओं को उनके गीतों में तलाशा है। इनकी लोकप्रियता को किसी भौगोलिक या समय सीमा में नहीं बांधा जा सकता। इसी प्रकार कवि प्रदीप और संगीतकार सी. रामचंद्र भी अपने क्षेत्र के विख्यात कलाकार रहे हैं, लेकिन मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र,जिन राज्यों से ये थे उनके मन में इनके प्रति एक विशेष लगाव है। भारत गौरव नेताजी सुभाष चंद्र बोस जो हर भारतवासी का गौरव हैं लेकिन बंगाल के लोगों को उनमें और अधिक अपनापन दिखता है। इस प्रकार देश के साथ-साथ महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश और पश्चिमी बंगाल के नागरिकों के लिए यह गणतंत्र दिवस विशेष खुशियाँ व सम्मान लेकर आया है।

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