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उन्नति के लिए साधना अनिवार्य

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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नवरात्र विशेष…..

व्यक्तिगत जीवन में सुख,शांति,समृद्धि और समाज तथा राष्ट्र की उन्नति के लिए साधना की अनिवार्य आवश्यकता है। सनातन धर्मावलंबी आत्म रक्षा व राष्ट्र रक्षा के लिए नित्य गायत्री महामंत्र,महामृत्युंजय मंत्र,भगवान चित्रगुप्त मंत्र और गुरु प्रदत्त मंत्र या अपने इष्टदेव के मंत्र का नियमित जाप करें एवं शक्तिवान बनें।
अपने समाज में फिर से प्राण संचार करने के लिए हमें पुनः मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और योगिराज भगवान श्री कृष्ण के उद्घोष को दोहराना होगा-
परित्राणाय साधू नाम,
विनाशाय च दुष्कृताम्,
धर्म संस्थापनार्थाय,
सम्भवामि युगे युगे।
जब-जब धरती पर पाप-अनाचार बढ़ता है, आसुरी प्रवृत्तियाँ सब ओर व्याप्त हो जाती हैं,ऐसे में ईश्वरीय सत्ता सृष्टि का संतुलन बनाने के लिए दिव्य शक्ति प्रवाह के रूप में जन-जन के मन में अपने संकल्प के अनुसार अवतरित होती है। और तब उसके प्रभाव से सामान्य से दिखने वाले जन, असम्भव माने-जाने वाले कार्यों को खेल-खेल में संपन्न करते चले जाते हैं। तब फिर से सृष्टि का संतुलन बन जाने से जन-जन में खुशहाली छा जाती है।
भगवान राम के ऋक्ष वानर,कृष्ण के ग्वाल बाल, बुद्ध के परिव्राजक,व स्वतंत्रता के दीवाने सत्याग्रहियों,क्रांतिकारियों ने ऐसा ही चमत्कार कर दिखाया था। जिस प्रकार हवाई जहाज व हेलीकॉप्टर उतरने के लिए रन-वे तथा हेलिपैड जरुरी है,रेलगाड़ी पटरी पर ही दौड़ती है,बसें व मोटरें भी अच्छी सड़कों पर ही दौड़ती हैं,उसी प्रकार दिव्य चेतना प्रवाह से जुड़ने के लिए हमें नियमित साधना क्रम अपनाना होगा।
साधना क्रम को नियमित रूप से कम से कम एक वर्ष,तथा उसके आगे जितने वर्षों तक आप करते रहेंगे,दिव्य शक्तियाँ आपके जीवन में अवतरित होकर घर-परिवार में,समाज व राष्ट्र में उसी प्रकार खुशहाली लाएंगी,जिस प्रकार बिजली घर से चलने वाली विद्युत् हर कनेक्शन लेने वाले के घर को प्रकाशित कर देती है। तभी व्यक्ति,परिवार,समाज और राष्ट्र संगठित, शक्तिशाली और खुशहाल बन सकता है।
जो लोग उपासना,साधना को ढोग या आडंबर बताते हैं,वे वास्तव में इसके वैज्ञानिक तथ्य को जानते नहीं हैं। हमारे ऋषि-मुनियों ने इन मंत्रों को और उपासना पद्धतियों को गहन शोध के बाद आम जन के समक्ष प्रस्तुत किया है।
ये जीवन साधना का मार्ग आज भी खुला हुआ है, इन मंत्रों की साधना करने के साथ ही अपने चिंतन, चरित्र,आचार,व्यवहार में वांछित सुधार करके कोई भी इसके चमत्कार से लाभान्वित हो सकता है। सभी देशभक्त नागरिकों,सनातन धर्मावलंबियों व परिजनों से प्रार्थना है कि इस विशेष नवरात्रि में लघु अनुष्ठान २४००० गायत्री महामंत्र का जाप अवश्य करें। जिनसे ये अनुष्ठान ना हो पाए,वे प्रतिदिन यथा संभव गायत्री मंत्र ,गायत्री चालीसा अथवा मंत्र लेखन भी कर सकते हैं।
आज की विषम परिस्थिति में गायत्री महामंत्र, महामृत्युंजय मंत्र अथवा भगवान चित्रगुप्त मंत्र ही सृष्टि को विनाश से बचा सकता है। दुर्बुद्धि से विनाश,सद्बुद्धि से सृजन होता है। गायत्री महामंत्र सद्बुद्धि का मंत्र है।
यह विशेष नवरात्रि है। मांँ गायत्री के तीनों स्वरूप ब्राह्मी,वैष्णवी,शांभवी,महासरस्वती,महालक्ष्मी, महाकाली,गायत्री मंत्र में समाहित शक्ति है। आग्रह है कि स्वयं के साथ और लोगों को भी प्रेरणा दें। यह पुण्य की बेला है। इस पुण्य बेला में स्वयं तो पुण्य की प्राप्ति करें ही,औरों को प्रेरणा देकर अधिक से अधिक पुण्य और सत्कर्म करने का प्रयास करें, ताकि स्वयं के साथ-साथ समाज और राष्ट्र का भी कल्याण हो सके।

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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