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उल्फत की दुश्मन

डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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आओ जी चले आओ,
चले भी आना जी
खुद के दिल से दिल का,
अफसाना सुन लो जी।

भीगा-भीगा मौसम,
हवाएं न्यारी-न्यारी
मुहब्बत के रंग में,
रंगी है दुनिया सारी।

ये भौंरों की नगरी,
कलियाँ प्यारी-प्यारी
मेरे भी दिल की,
बढ़ गई है बेकरारी।

उल्फत की दुश्मन,
यहाँ है दुनिया सारी
गैरों के सुख से,
यहाँ किसको यारी।

ख्वाबों की ये नगरी,
होती है कितनी प्यारी
जैसे परियों के देश में,
शहजादी कोई प्यारी।

आओ जी चले आओ,
चले भी आना जी।
खुद के दिल से दिल का
अफसाना सुन लो जी॥