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एक बेटी

सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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एक बेटी सजती है,
नई दुल्हन में
डोली के रूप में‌ कार,
सजी कुछ असली-नकली
फूलों के हार से,
जा बैठी आभूषणों से
लदी, हाथ-पैर मेहंदी के
मनमोहक प्यार में पिया संग,
भोली-भाली एक बेटी।

माता रोती जार-बेजार,
पिता रोते दिल को
सांत्वना दिला-दिला ढाँढस में,
मुँह ढके-ढके रूपवंती
हर श्रृंगारिक ऐश्वर्य में
नैयहर की एक बेटी।

पिता के आनन-कानन में,
बढ़ी पढ़ी-लिखी
स्नेह पाया घर-आँगन का,
देहरी पे बैठी आस लगाई
रंग-बिरंगी सपनों को,
जोहती नैनन में वात्सल्य की
अश्रु-लाड़ बहाती हॅंस के,
पिता को मनाने एक बेटी।

आशीष देते कल्पित पिता,
जाओ-जाओ तुम
बेटी अपनी जन्म की,
कुंडली संग निभाते रहना
कुल-खानदान की लाज,
मेरी मान-मर्यादा के ख्याल में
यही तो सृष्टि-दृष्टि की,
जीवन-आधार होती हिन्दुत्व
धर्मार्थ में सच ही एक बेटी।

जीवन की सारी खुशियाँ और,
वैभव-सुख-समृद्धि तेरी
सपारिवारिक आनंद में,
पिरोई होती सर्वसंपन्न
शिष्टाचार के अनुरूप संस्कृति।
सभ्यता व संस्कार के,
अभिन्न रूपों में एक बेटी॥

परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।

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