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कब तक प्राण रखूँगी ?

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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अचानक क्यों यादों में, आ जाते हो तुम ?
विरह की ज्वाला को, जगा देते हो तुम
तुम्हारी यादों में, हमारी है भीगी पलकें,
चान्दनी रात है साजन, आ जाओ चुपके।

हाँ मैं जानती हूँ, तुम मुझे नहीं भूल पाए,
क्या थी मजबूरी! तुम मिलने नहीं आए
कहे थे प्रियतम, तुझे दुल्हन मैं बनाऊँगा,
चुनरी लेके आऊँगा, डोली में ले जाऊँगा।

कहो प्रियतम, क्यों भूले हो अपना वादा !
क्यों जख्म दे दिए मुझे, बदल कर इरादा
थक गई भीगे नयन, तेरा पथ निहार के,
क्यों खड़े हो उस पार, जुदाई दीवार के।

मेरी बाली उम्र को, तुमने प्यार सिखाया,
प्रेम-प्यार के रंग में, तुमने मुझे भिगोया।
कहो ना, कब तक, तारों से बातें करूँगी ?
तुम्हारी यादों में ‘कब तक प्राण रखूँगी…???

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |