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करता नहीं ऐतबार आदमी

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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(रचना शिल्प:अरकान-२१२ २१२ २१२ २१२)
हर कदम पर करे इंतजार आदमी,
प्यार दिल में लिए बेशुमार आदमी।

बात दिल की कहे तो कहे अब किसे,
आज करता नहीं ऐतबार आदमी।

इस जहां में सभी एक से एक हैं,
कौन किसको कहे होशियार आदमी।

गर मुहब्बत में खा जख़्म को साथियों,
फिर भी करते सदा जां निसार आदमी।

है हकीकत फ़साना नहीं साथियों,
आदमी पे करे अब तो वार आदमी।

इस जहां में नहीं होते ऐसे सभी,
जो करे साथ मिल के करार आदमी।

हम थे करते कभी प्यार ‘बोधन’ सुनो,
हमको माने सदा गुनाहगार आदमी॥

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