कुल पृष्ठ दर्शन : 161

You are currently viewing कर्म

कर्म

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’
मुंबई(महाराष्ट्र)

******************************************

शांतनु अपने पापा के साथ बाजार गया। बाजार में काफी शॉपिंग के बाद वे लुहार की दुकान पर पहुंचे।
दुकान देख शांतनु ने पापा से पूछा, “पापा ये लोहार क्या-क्या बनाते हैं ?”
“बेटा वैसे तो लोहार सुई से लेकर दरवाजे, तगारी, फावड़ा, लोहे के फर्नीचर, बाल्टी समेत कृषि में उपयुक्त सभी औजारों का निर्माण करते हैं, लेकिन कभी-कभी समय, स्थान अथवा मांग के अनुसार भी लोहे का सामान बनाते हैं।” पापा ने शांतनु को बताया।
तभी शांतनु की नजर लोहार पर पड़ी, जो एक हाथ में गर्म लोहे को फोर्ज टोंग पर रख आकार देने के लिए दूसरे हाथ द्वारा बड़े से हथौड़े से बार-बार चोट दे रहा था। यह देख उसे अचंभा हुआ। उसकी प्रतिक्रिया देख पापा ने पूछा, “क्या हुआ शांतनु बेटा ?”
“पापा देखो न बेचारा लोहा। क्या नसीब है इसका ?आकार पाने के लिए इसे कितना कष्ट झेलना पड़ता है।” शांतनु ने लोहे पर व्यंग्य कसते हुए कहा।

पापा ने कहा, “बेटा, कर्मों का फल है। ढीठ बच्चे और लोहे में कोई अंतर नहीं होता।”

परिचय-डॉ. पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैL जन्म तिथि १२ अगस्त १९८० तथा जन्म स्थान दिल्ली हैL श्रीमती अलापुरिया का निवास नवी मुंबई के ऐरोली में हैL महाराष्ट्र राज्य के शहर मुंबई की वासी ‘हेमाक्ष’ ने हिंदी में स्नातकोत्तर सहित बी.एड.,एम.फिल (हिंदी) की शिक्षा प्राप्त की है,और पी-एच.डी. की उपाधि ली है। आपका कार्यक्षेत्र मुंबई स्थित निजी महाविद्यालय हैL रचना प्रकाशन के तहत आपके द्वारा ‘हिंदी के श्रेष्ठ बाल नाटक’ पुस्तक का प्रकाशन तथा आन्दोलन,किन्नर और संघर्षमयी जीवन….! तथा मानव जीवन पर गहराता ‘जल संकट’ आदि विषय पर लिखे गए लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैंL हिंदी मासिक पत्रिका के स्तम्भ की परिचर्चा में भी आप विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता कर चुकी हैंL आपकी प्रमुख कविताएं-`आज कुछ अजीब महसूस…!` ,`दोस्ती की कोई सूरत नहीं होती…!`और `उड़ जाएगी चिड़िया`आदि को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला हैL यदि सम्म्मान देखें तो आपको निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार तथा महाराष्ट्र रामलीला उत्सव समिति द्वारा `श्रेष्ठ शिक्षिका` के लिए १६वा गोस्वामी संत तुलसीदासकृत रामचरित मानस,विश्व महिला दिवस पर’ सावित्री बाई फूले’ बोधी ट्री एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा में लेखन कार्य करके अपने मनोभावों,विचारों एवं बदलते परिवेश का चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत करना हैL