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कलाई बांधे देश दुलार

सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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जन्म-जन्म में रक्षा-बंधन का प्यार,
भाई-बहन बंधे कच्चे धागे के प्यार।

जीवन के हर संघर्ष में हो साथ जब,
बहन बनी चिंगारी, भाई बने अंगार।

देश की सीमा रक्षा पे मौजूद हैं वीर,
जवां राखी कलाई बांधे देश-दुलार।

विजयी विश्व तिरंगा झंडा लहराये यूँ,
जब-जब आये रक्षा बंधन ये त्यौहार।

बहना दौड़ कूद पड़ी कुरीतियों को यूँ,
कुचलने जय!जय!! काली की हुंकार।

बच ना पाये कोई आतंकवादी दुश्मन,
संहार हो भाई-बहन के अखंड दुलार।

अवनी-अम्बर में छाये, अमरत्व जगाये,
खुशियों में झूमे, नाचे गाये अमर प्यार।

कलाई सजी भाई के बहना तिलक की,
शीश चंदन चमके पुलकित देश कुमार।

वीर बहना सच में तू जगी लिए ‘किरण’,
कि साथ जग-जन में लहराये तेरा प्यार॥

परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।