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कारगिल का युद्ध

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….


विजय दिवस मनाए,तिरंगा लहराए,
तिरंगा फहराए,तिरंगा लहराएl
आजादी के गीत गाए,जश्न मनाए,
तिरंगा लहराए,तिरंगा फहराएl

कारगिल युद्ध भूमि बड़ी महान,
शहीदों के लहू से हुआ श्रृंगारl
भारत की सेना ने किया कमाल,
पाक का हुआ था बुरा हालl

मिग २७,२९ की पड़ी पाक पर बौछार,
परमाणु बम का पड़ा अदभुत प्रहारl
घुसपैठियों की पैठ न जमने पाई,
संघर्षता की है यह कहानी।

२६ जुलाई १९९९ का नव उदित सवेरा,
विजय दिवस का पुष्प सुनहराl
बलिदान की है यह अमर कहानी,
अखण्ड भारत की जुबानीll

परिचय-सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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