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अंग्रेजी भाषा का प्राथमिक स्तर पर विरोध जरूरी

कमलेश पाण्डेय

सीतापुर
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शिक्षा नीति २०१९ के प्रारुप पर भाषा को लेकर बवाल……..
द्विभाषा नीति हो या त्रिभाषा नीति,विरोधी स्वर को सुने जाने की जरूरत है तथा देश को बताए जाने की जरूरत है कि किसी पर कोई भाषा थोपी नहीं जा रही है,किन्तु हिन्दुस्तान की पहचान के लिए हिन्दी आवश्यक है। हिन्दी की जगह पर संस्कृत भी एक अच्छा और स्वीकार्य विकल्प हो सकता है।
हिन्दुस्तान में यदि किसी भाषा का प्राथमिक स्तर पर विरोध जरूरी है,तो वह है अंग्रेजी। एक बात और समझाने की आवश्यकता है कि हिन्दुस्तान में किसी हिन्दुस्तानी भाषा का विरोध नहीं है। तमिल,तेलुगु,कन्नड़,मलयालम आदि भाषाएँ आदिभाषा देवभाषा के अत्यधिक निकट हैं।
वास्तविकता यह है कि हमें अपने प्रान्तों को बताए जाने की जरूरत है कि अंग्रेजी हम पर थोपी गयी है,थोपी जा रही है तथा हम जाने-पहचाने कारणों से इसे अभिन्न अनिवार्य मानकर ओढ़े हुए हैं। बहुत से देश इस भाषा के बिना ज्ञान,विज्ञान तथा आर्थिक उन्नति के नित-नये सोपान गढ़ रहे हैं।
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

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