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कारगिल के वीर सपूत

डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’ 
बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़)
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कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….

तिलक लगा,भाल सजा,
ये मेरे वीर,सर पे कफ़न लगा।
घुसपैठियों की बात कर,
कारगिल युद्ध को याद कर।

योगेंद्र अनुज अमोल विजयंत,
ये थे कारगिल के महानायक।
कर चढ़ाई टाइगर हिल पर,
दिखा दिया साहस अपने दम पर।

जब गरज रही थी तोपें,
तब बरस रहे थे गोले।
बढ़ते जा रहे थे कदम,
हटते जा रहे थे दुश्मन।

पाकिस्तान ने जब हार मानी,
हिंदुस्तान का तिरंगा लहराया।
कारगिल युद्ध को भाईयों,
विजय दिवस के रूप में मनाया।

इतिहास के इन पन्नों को,
गर्व से हमें देखना होगा।
कारगिल के वीर सपूतों को,
२६ जुलाई को नमन करना होगाll

परिचय-डीजेंद्र कुर्रे का निवास पीपरभौना बलौदाबाजार(छत्तीसगढ़) में है। इनका साहित्यिक उपनाम ‘कोहिनूर’ है। जन्मतारीख ५ सितम्बर १९८४ एवं जन्म स्थान भटगांव (छत्तीसगढ़) है। श्री कुर्रे की शिक्षा बीएससी (जीवविज्ञान) एवं एम.ए.(संस्कृत,समाजशास्त्र, हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं। आपकी लेखन विधा कविता,गीत, कहानी,मुक्तक,ग़ज़ल आदि है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत योग,कराटे एवं कई साहित्यिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी हैं। डीजेंद्र कुर्रे की रचनाएँ काव्य संग्रह एवं कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित है। विशेष उपलब्धि कोटा(राजस्थान) में द्वितीय स्थान पाना तथा युवा कलमकार की खोज मंच से भी सम्मानित होना है। इनके लेखन का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली कुरीतियां,आडंबर,गरीबी,नशा पान, अशिक्षा आदि से समाज को रूबरू कराकर जागृत करना है।

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