सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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शीश चन्द्र हैं सजाए,
सर्प कंठ लटकाए
आशुतोष कृपावंत,
कृपा आप कीजिए।
अंग भभूति लगाए,
गंग जटा में समाए
भोलेनाथ त्रिपुरारी,
आप सुधि लीजिए।
हाथ में त्रिशूल साजे,
बाँए अंग गौरा राजे
शिव शंभू भोलेनाथ,
मुझको सहारा दीजिए।
भोले बाघम्बर धारी,
करें नंदी की सवारी
भूत-प्रेत लिए साथ
मस्त मगन घूमिए।
कोई भाँग और धतूर,
कोई बेल-पत्र फूल।
कोई भक्ति ही चढ़ाए,
स्वीकार आप कीजिए॥