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कैसे नहीं होगा विकास ?

ओमप्रकाश अत्रि
सीतापुर(उत्तरप्रदेश)
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जहाँ
लूटा जाए
दिनदहाड़े,
जहाँ
खेला जाए
एक-दूसरे के जीवन से,
उससे अच्छा
कहाँ होगा विकास ?
कहाँ होगा
ऐसा
विकासशील देश,
जहाँ
बहू-बेटियों को
ताड़ा जाए ?
मारे जाएं ताने
उनकी
सुरभि पर,
जहाँ
दरिन्दगी से
बाँहों में जकड़कर
अस्मत को
लूटा जाए।
जहाँ
गिरगिट की तरह,
रंग बदलता है
हर आदमी,
और
खटमल की तरह
चारपाई के खोलों में
छिपना चाहता है।
जहाँ
चूसा जा रहा हो,
जोंक की तरह
मजदूरों का खून,
कहाँ होगा
ऐसा
सुसमृद्ध देश ?
जहाँ
सम्भाल ली हो
देश की
बागडोर
पूंजीपतियों ने,
वहाँ
कैसे होगी
बेरोजगारी
भुखमरी देश में ?
भला
कैसे न हो
देश में विकास,
जहाँ
मजबूर हो,
किसान
ख़ुदकुशी करने पर!
जहाँ
ठनकते हैं
कटोरे,
जहाँ
गुजारी जाती हों
रातें फुटपाथ पर।
जहाँ
करता हो
प्रशासन
सिर्फ
रुपये से बात,
कैसे
मार सकेगी
वहाँ
दरिद्रता चोंच ?
जहाँ
होता हो
एक-दूसरे को
नीचा दिखाने का अनुबंध,
जहाँ
सजते हों,
नफ़रत के
काले बाज़ार।
जहाँ
होती हो
सियासत,
गरीबों को दबाकर
पूंजीवाद की
प्रतिष्ठा
जमाने की।
जहाँ
ली जाती हों,
सुपारियाँ
जान से मारने को,
वहाँ…
कैसे नहीं होगा
विकास देश में ?

परिचय-ओमप्रकाश का साहित्यिक उपनाम-अत्रि है। १ मई १९९३ को गुलालपुरवा में जन्मे हैं। वर्तमान में पश्चिम बंगाल स्थित विश्व भारती शान्ति निकेतन में रहते हैं,जबकि स्थाई पता-गुलालपुरवा,जिला सीतापुर है। आपको हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी सहित अवधी,ब्रज,खड़ी बोली,भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। उत्तर प्रदेश से नाता रखने वाले ओमप्रकाश जी की पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(हिन्दी प्रतिष्ठा) और एम.ए.(हिन्दी)है। इनका कार्यक्षेत्र-शोध छात्र और पश्चिम बंगाल है। सामाजिक गतिविधि में आप किसान-मजदूर के जीवन संघर्ष का चित्रण करते हैं। लेखन विधा-कविता,कहानी,नाटक, लेख तथा पुस्तक समीक्षा है। कुछ समाचार-पत्र में आपकी रचनाएं छ्पी हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-शोध छात्र होना ही है। अत्रि की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य के विकास को आगे बढ़ाना और सामाजिक समस्याओं से लोगों को रूबरू कराना है। इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ सहित नागार्जुन और मुंशी प्रेमचंद हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज- नागार्जुन हैं। विशेषज्ञता-कविता, कहानी,नाटक लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
“भारत की भाषाओंं में है 
अस्तित्व जमाए हिन्दी,
हिन्दी हिन्दुस्तान की न्यारी
सब भाषा से प्यारी हिन्दी।”

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