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कोई खिड़की खुल जाएगी

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’
रोहतक (हरियाणा)
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ऊँची चाहे मीनार हो,
सख्त बहुत दीवार हो
अदम्य साहस गर तुझमें,
नींव इमारत हिल जाएगी
कोई खिड़की खुल जाएगी।

धुंधला है चाहे आईना,
करना साफ पर कब मना
तेरे श्रम स्वेद से हे नर!
तकदीर की धूल धूल जाएगी,
कोई खिड़की खुल जाएगी।

हाथ पर क्यों हाथ रखा,
तेरे हाथ हैं सदा सखा
कर को कर लेना पतवार,
नौका गति से चल जाएगी
कोई खिड़की खुल जाएगी।

साँसों के प्रभंजन कर ले,
नयनों में अंगारे भर ले
धर ले साहस की शम्मा,
अखंड रोशनी मिल जाएगी
कोई खिड़की खुल जाएगीll

परिचय–डॉ.चंद्रदत्त शर्मा का साहित्यिक नाम `चंद्रकवि` हैl जन्मतारीख २२ अप्रैल १९७३ हैl आपकी शिक्षा-एम.फिल. तथा पी.एच.डी.(हिंदी) हैl इनका व्यवसाय यानी कार्य क्षेत्र हिंदी प्राध्यापक का हैl स्थाई पता-गांव ब्राह्मणवास जिला रोहतक (हरियाणा) हैl डॉ.शर्मा की रचनाएं यू-ट्यूब पर भी हैं तो १० पुस्तक प्रकाशन आपके नाम हैl कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित हुई हैंl आप रोहतक सहित अन्य में भी करीब २० साहित्यिक मंचों से जुड़े हुए हैंl इनको २३ प्रमुख पुरस्कार मिले हैं,जिसमें प्रज्ञा सम्मान,श्रीराम कृष्ण कला संगम, साहित्य सोम,सहित्य मित्र,सहित्यश्री,समाज सारथी राष्ट्रीय स्तर सम्मान और लघुकथा अनुसन्धान पुरस्कार आदि हैl आप ९ अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल हो चुके हैं। हिसार दूरदर्शन पर रचनाओं का प्रसारण हो चुका है तो आपने ६० साहित्यकारों को सम्मानित भी किया है। इसके अलावा १० बार रक्तदान कर चुके हैं।

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