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गाँवों का कायाकल्प

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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“बेटा सोमू! तुमने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली, रिजल्ट भी आ गया।अब तुम ज़ल्दी से कोई काम करने लग जाओ, तो मैं यह खेत साहूकार को सौंपकर तुम्हारे पास शहर आ जाऊँगा।” गाँव में रह रहे दीनू काका ने शहर में पढ़ रहे अपने बेटे को फोन पर कहा।
“दद्दा! अब आप शांत रहो, और देखते जाओ कि मैं क्या करता हूँ।” कहकर सोमू ने फोन काट दिया।
कुछ दिन बाद ही शहर से अपना बोरिया-बिस्तर समेटकर सोमू जब गाँव लौटा, तो उसके पिता उसे लौटा देखकर अचरज में पड़ गए, और उसका मुँह ताकने लगे, तो उनकी इस दशा को देखकर सोमू बोला-
“दद्दा! मैं शहर में नौकरी नहीं करूँगा, बल्कि यहीं गाँव में रहकर अपनी पुश्तैनी खेती के काम को करूँगा, और वह भी आधुनिक तरीक़ों से।”
“मतलब ?”
“मतलब यह कि मैंने बी.एस-सी.-कृषिविज्ञान की पढ़ाई कोई नौकरी करने को नहीं की है, बल्कि अपनी ख़ानदानी खेती को सँवारने के लिए।”
“पर यह खेत तो तुम्हारी पढ़ाई के समय साहूकार को गिरवी रखा जा चुका है।”
“मैं बैंक से लोन लेकर आधुनिक मशीनों से नए तरीकों से कुछ तरह से खेती करूँगा कि साहूकार का सारा कर्ज़ चुक जाएगा, और हमारी हालत भी सुधर जाएगी। जिस गाँव में मैंने जन्म लिया, जहाँ की हवा, भोजन, पानी ने मुझे पाला-पोसा है, पढ़-लिखकर क्या मैं उसे छोड़ देने का ही निदनीय कृत्य करूँ ? नहीं कभी नहीं।”
“अच्छा! ठीक है बेटा!”
“हाँ! और मैं ऐसा ही करने के लिए शहर में पढ़ रहे इस गाँव के अन्य नौजवानों को भी कहूँगा। और जब सब मुझ जैसा ही करेंगे, तो देखते ही देखते इस गाँव, और फिर इस इलाके का नक्शा ही बदल जाएगा। दरअसल अब मुझ जैसे पढ़े-लिखे नौजवानों को गाँवों का कायाकल्प करना है।”
“अच्छा! तुम जो ठीक समझो करो, बेटे!”
“दद्दा! हमें आज गाँवों को सँवारने की ज़रूरत है, जो कि, धीरे-धीरे उजड़ रहे हैं।”

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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