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गांधी

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’
कोटा(राजस्थान)
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महात्मा गाँधी जयंती विशेष…….
आजादी का फूँककर,आमजनों में मंत्र।
गांधी जी ने कर दिया,भारत देश स्वतंत्र॥

साधन पावन ही रहें,था गांधी का जोर।
चाहे देरी से मिलेे,हमें लक्ष्य का छोर॥

गांधी का जीवन रहा,सच के साथ प्रयोग।
जिससे लग पाया नहीं,उन्हें रूढ़ि का रोग॥

गांधी में कमियाँ रही,थे वे भी इंसान।
सच्चाई के साथ से,लेकिन बने महान॥

रोजगार-उपलब्धि का,चरखा रहा प्रतीक।
थी गांधी की दृष्टि यह,भारत के हित ठीक॥

बता न्याय की प्राप्ति हित,सत्याग्रह को ठीक।
सत्य अहिंसा शान्ति के,गांधी बने प्रतीक॥

जो जन-जन में व्याप्त है,बनकर एक विचार।
उस गांधी को मौत भी,कब सकती है मार॥

परिचय-सुरेश चन्द्र का लेखन में नाम `सर्वहारा` हैl जन्म २२ फरवरी १९६१ में उदयपुर(राजस्थान)में हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत एवं हिन्दी)हैl प्रकाशित कृतियों में-नागफनी,मन फिर हुआ उदास,मिट्टी से कटे लोग सहित पत्ता भर छाँव और पतझर के प्रतिबिम्ब(सभी काव्य संकलन)आदि ११ हैं। ऐसे ही-बाल गीत सुधा,बाल गीत पीयूष तथा बाल गीत सुमन आदि ७ बाल कविता संग्रह भी हैंl आप रेलवे से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी होकर स्वतंत्र लेखन में हैं। आपका बसेरा कोटा(राजस्थान)में हैl

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