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गुरुवर तुम हो चेतना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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यदि आप नहीं होते तो…(शिक्षक दिवस विशेष)….

प्रखर रूप मन भा रहा, दिव्य और अभिराम।
हे! गुरुवर तुम हो सदा, लिए विविध आयाम॥

गुरुवर तुम हो चेतना, हो विवेक-अवतार।
अंधकार का तुम सदा, करते हो संहार॥

जीवन का तुम सार हो, दिनकर का हो रूप।
बिखराते नव रोशनी, मानवता की धूप॥

सत्य,न्याय,सद्कर्म हो, गुरुवर हो तुम ताप।
काम,क्रोध,मद,लोभ हर, धो देते संताप॥

गुरुवर तुम तो दृष्टि हो, भटके को हो नूर।
ज्ञान अपरिमित संग है, शील लिए भरपूर॥

त्याग,प्रेम,अनुराग है, धैर्य, सरलता संग।
खिलें आपसे नित्य ही, नवजीवन के रंग॥

है सामाजिक जागरण, सरोकार,अनुबंध।
कभी न टूटें आपसे, कर्मठता के बंध॥

सुर,लय हो,तुम ताल हो, तानसेन की तान।
गुरुवर तुम तो शिष्य का, हो नित ही यशगान॥

मधुर नेह हो,प्रीति हो, हो अंतर के भाव।
गुरुवर तुमसे शिष्य को, किंचित नहीं अभाव॥

वंदन,अभिनंदन सतत, हे! गुरुवर है नित्य।
तुम हो खिलती चाँदनी, दमक रहा आदित्य।।

शिक्षक जी कल्याण तुम, हो तुम जीवन-सार।
तुम ही मेरी चेतना,तुम ही हो संसार॥

तुम तो गुरुवर दिव्य हो, जीवन का आलोक।
कर देते हो शिष्य का, परे सकल सब शोक॥

गुरुवर नित तुम पूज्य हो, मंगल का हो गान।
तात सदा तुम पूज्य हो, खिलता हुआ विहान॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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