जबरा राम कंडारा
जालौर (राजस्थान)
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गुरु सच्चा हो गुरु ज्ञानी हो।
गुरु विद्या का महादानी हो॥
गुरु नहीं होय ऐसा-वैसा।
गुरु ब्रह्मा विष्णु शंभू जैसा॥
गुरु निःस्वार्थी निराभिमानी।
मुख पर ज्ञानसुधा-रस बानी॥
दो नैना सम सबको राखे।
अपशब्द कबहुँ नहीं भाखे॥
सच्चा-अच्छा ज्ञान सुनावै।
अज्ञान-तम को दूर भगावै॥
घट मांहि करे ज्ञान प्रकाशा।
पूरा गुरु पूर्ण करे आशा॥
समदृष्टि से सबको निहारे।
होत समान शिष्यगण सारे॥
गुरुप्रति मन बने जगे आस्था।
चले शिष्य गहै सही रास्ता॥
गुरु सदैव ही ज्ञान खजाना।
गुरु की महिमा सकल बखाना॥
गुरु ज्ञान से होय कल्याणा।
ये भेद कहे वेद-पुराणा॥